अग्निपथ योजना: वायुसेना प्रमुख बोले- फौज को इस योजना की सख्त जरूरत, 24 जून से शुरू होगीचयन प्रक्रिया


एक ओर जहां अग्निपथ योजना को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तो वहीं सेना की ओर से इसे समय की जरूरत बताया जा रहा है। एक बार फिर से वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी ने अग्नीपथ योजना की वकालत की है। उन्होंने कहा कि फौज को इस योजना की सख्त जरूरत है क्योंकि हमारी फौज और युद्ध प्रकृति बदलती जा रही है। इसके तहत हमें नए जोश और नए विचार वाले युवकों की जरूरत है। इस योजना से कई लोगों को सेना में 4 साल सेवा करने का अवसर मिलेगा। वायुसेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना से बाहर जाने पर भी उन्हें कई मौके मिलेंगे। वो चाहे तो अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा सकते हैं या फिर नौकरी मिलेगी। अगर वे चाहेंगे तो अपनी बचत से व्यापार की शुरुआत कर सकते हैं

इससे पहले वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी यह बात भी कह चुके हैं कि अग्निपथ योजना के तहत वायुसेना द्वारा चयन प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी। अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ प्रदर्शन के जोर पकड़ने के बीच थलसेना, नौसेना और वायुसेना ने इस नये ‘प्रारूप’ के तहत अगले हफ्ते तक चयन प्रक्रिया शुरू करने की शुक्रवार को घोषणा की। वहीं सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था बहुत ही विशाल और जटिल है। हमारी सक्रिय सीमाएं और उसी के समान चुनौतीपूर्ण आंतरिक सुरक्षा के लिए उच्च स्तर की तत्परता अनिवार्य है। तकनीक का उपयोग करना और लाभ उठाना बहुत जरूरी हो गया है। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि 2022 के लिए अग्निपथ योजना के तहत (सशस्त्र बल में) भर्ती किये जाने वालों की उम्र सीमा बढ़ा कर 23 वर्ष कर दी गई है, जिससे सशस्त्र बलों में भर्ती के नये ‘मॉडल’ के तहत कहीं अधिक संख्या में युवाओं की भर्ती की जा सकेगी। 

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि सरकार सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए हाल में अग्निपथ योजना लायी है। योजना के लिए न्यूनतम उम्र साढ़े 17 वर्ष और अधिकतम उम्र सीमा 21 साल है। मैं यह सूचित करते हुए खुश हूं कि पहली भर्ती के लिए ऊपरी उम्र सीमा बढ़ा कर 23 साल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव से युवाओं का एक बड़ा हिस्सा अग्निवीर के रूप में भर्ती हो सकेगा। वायुसेना के लिए चयन प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी। इस नयी योजना के खिलाफ देश के कई हिस्सों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। केंद्र द्वारा हाल ही में घोषित यह योजना सशस्त्र बलों में चार साल की अल्पकालिक सेवा का प्रावधान करती है, जबकि रंगरूटों में से 25 प्रतिशत को करीब 15 वर्षों की नियमित सेवा के लिए सैन्य बलों में बरकरार रखा जाएगा।