कथित मुठभेड़ छोड़ गई कई अनसुलझे सवाल


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। रिंगरोड के किनारे आज तड़के हुई मुठभेड़ ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि इस सनसनीखेज मुठभेड़ जिसमें दोनों तरफ से अनेक गोलियां चली का कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है जबकि पुलिस ने सुबह साढ़े छ: बजे मुठभेड़ का होना दिखाया है उस समय अच्छा खासा उजाला हो जाता है। मुठभेड़ रिंग रोड के किनारे दिखाई गई है। उस सिक्स लेन सड़क पर हर समय वाहनों की जबरदस्त आवाजाही लगी रहती है। फिर भी पब्लिक के किसी आदमी ने मुठभेड़ होता नहीं देखा। दोनों कथित बदमाशों के शरीर पर मात्र टी शर्ट है वहीं पुलिस वालों के शरीर पर जैकेट है, जबकि सुबह के समय अच्छी खासी ठंड रहती है। ऐसे में बदमाश मात्र टी शर्ट में थे,अचरज होता है। मुठभेड़ में नाइन एमएम की सरकारी पिस्टल की बरामदगी दिखाई गई है। फिर सवाल ये है कि बदमाशों की शिनाख्त उस दरोगा अजय यादव से क्यों नहीं कराई गई जिसे बदमाशों ने गोली मारी थी।जबकि डिपार्टमेंट में हर कोई दरोगा की पिस्टल लूटकांड से वाकिफ है।सबसे पहले बिहार पुलिस से क्यों शिनाख्त क्यों और कैसे कराई गई। क्या बनारस पुलिस इस घटना के पहले से ही बिहार पुलिस के संपर्क में थी?
दरोगा अजय यादव को जब गोली मारी गई थी उसके पहले उनकी बदमाशों से गरमा गरम बहस हुई थी। बदमाशों ने कहा बहुत गुंडा बनते हो।इसके बाद हाथापाई के बाद बदमाशों ने उन्हें कथित रूप से गोली मार दी और सरकारी पिस्टल पर्स आदि लूट के भाग गए। अगर बदमाशों का उद्देश्य सिर्फ लूट होता तो वे बावर्दी किसी पुलिस वाले से बहस नहीं करते। क्या बदमाशों से दरोगा अजय यादव से पुरानी जान पहचान थी। अभी यह भी पता नहीं चल पाया है कि दरोगा को उसी की पिस्टल से गोली मारी गई थी या किसी अन्य असलहे का प्रयोग किया गया था। मौके से कोई खोखा भी बरामद नहीं हुआ था जैसा की पुलिस का दावा है बदमाश अत्यंत शातिर किस्म के थे। अगर ऐसा है तो बदमाश दरोगा को गोली मारने के बाद भी क्षेत्र में क्यों मौजूद थे, जबकि मामला अत्यंत हाईप्रोफाइल था। दरेखू जहां दरोगा को गोली मारी गई थी से रिंग रोड जहां आज मुठभेड़ दिखाई गई है का फैसला मात्र कुछ किलोमीटर का है। मात्र पंद्रह बीस मिनट में एक स्थान से दूसरी जगह पहुंचा जा सकता है। नौ सिखिया बदमाश भी इतने संगीन वारदात को अंजाम देने के बाद सैकड़ों किलोमीटर दूर निकल जाता। फिर इतने शातिर बदमाश आसपास ही मौजूद थे हैरान कर देने वाला है। बदमाशों के पास से जिस अपाचे मोटरसाइकिल की बरामदगी दिखाई गई है उसका नंबर भदोही का है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या बाइक चोरी की थी या बदमाशों ने किसी से छीनी थी। अगर ऐसा था तो किस थाने में इसकी रिपोर्ट लिखाई गई थी। जैसा कि पुलिस का दावा है कि बदमाशों ने बिहार में साठ लाख की बैंक लूट को अंजाम दिया था। इतने पैसे से वे आराम से बरसों तक ऐश कर सकते थे। ऐसे में दरोगा का पर्स छीनने की नौबत क्यों आई। दरोगा के पर्स के कुछ सौ रुपयों से इतने शातिर बदमाश का कितने दिन खर्चा चलता। ये सारे सवाल लोगों के जेहन में उठ रहा है जिसका जवाब जरूरी है।