अर्थराइटिस मरीजों के लिए वरदान साबित होगा पार्शियल नी रिप्लेसमेंट


वाराणसी (काशीवार्ता)। अर्थराइटिस मरीजों के लिए पार्शियल नी रिप्लेसमेंट वरदान बन गया है। बदलती दिनचर्या में की लाइफस्टाइल पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसके नतीजे हो रहे हैं कि हर उम्र के लोग अलग-अलग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसी ही एक समस्या घुटनों के दर्द की सामने आ रही है। प्रत्येक तीन में से एक युवा घुटनों के दर्द से परेशान है जिन्हें मांसपेशियों में असंतुलन के कारण दर्द की समस्या होती है। उक्त बातें दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल के डॉ.नंदन कुमार मिश्रा ने कैंटोनमेंट स्थित एक होटल में पत्रकारवार्ता के दौरान कही। कहा कि जोड़ों और हड्डियों की समस्याओं में आॅस्टियोआर्थराइटिस दूसरी सबसे कॉमन परेशानी है। भारत में आॅस्टियो आर्थराइटिस बहुत ही आम समस्या है और 40 फीसदी लोग इससे पीड़ित होते हैं। आमतौर पर हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ में इसकी समस्या ज्यादा होती है। डॉ.नंदन ने कहा कि घुटनों के दर्द के ट्रीटमेंट में नए एडवांसमेंट्स हुए हैं और कम से कम चीर काट करके पार्शियल नी रिप्लेसटमेंट सर्जरी की जा रही हैं। ये सर्जरी खासकर मिडिल एज ग्रुप के लिए वरदान साबित हो रही है। नी-रिप्लेसमेंट से लोगों को दर्द से आराम मिलता है, चलना-फिरना आसान हो जाता है। नी रिप्लेसमेंट कराने का असर 15 साल से ज्यादा तक रहता है। कहा कि हैरान करने वाली बात ये है कि ये समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीन गुना ज्यादा होता है।