बनारस के बाद यहां से उड़ेंगे हवाईजहाज दिसम्बर से शुरू होगी उड़ान।


एयरपोर्ट के इर्द गिर्द निर्माण कार्यो पर प्रशासन ने लगाई पाबंदी

म्योरपुर एयरपोर्ट से उड़ान दिसम्बर महीने से सम्भव, दूसरे चरण में होगा विस्तारीकरण

सोनभद्र/म्योरपुर।  रीजनल कनेक्टिविटी के तहत वाराणसी के बाद सोनभद्र ऐसा जिला होगा जहां से हवाई यात्रा का लाभ लिया जा सकेगा।रीजनल कनेक्टिविटी के तहत जिले के म्योरपुर विकास खण्ड में हवाई पट्टी को विस्तारित करके उसे हवाईअड्डे का रूप देने का कार्य अपने अंतिम चरण में है। आवश्यक कार्य 2022 के दिसम्बर तक पूर्ण करके एयरपोर्ट से उड़ान शुरू करने की प्रशासन की योजना है।हवाईजहाज उतरने के लिये रनवे बनाने व उसकी पेंटिंग का कार्य अपने अंतिम चरण में है और इसे जल्द पूरा कर लिया जायेगा। हवाईअड्डा के लिये अड़चन बन रहे कुछ काश्तकारों को पूरी तरह मुआवजा देकर हटाने की जानकारी देते हुए तहसीलदार ने बताया कि रास्ते मे आ रहे हैण्डपम्प को हटाने के बाद अब चाहरदीवारी को ऊंचा करने का कार्य भी कुछ दिनों में समाप्त ही जायेगा और दूसरी समस्याओं को भी शीघ्र दूर कर वर्ष के अंत तक उड़ान भरने का बहुप्रतीक्षित कार्य शुरू कर दिया जायेगा। हवाईअड्डे के लिये आवश्यक भूमि में बाधा बन रही वन विभाग की भूमि का हस्ततान्तरण कर लेने के साथ प्रथम चरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है लगभग 3 बीघा भूमि के विवाद का मामला माननीय उच्चन्याय में लम्बित है जिसका फैसला आते ही वहां भी कार्य शुरू करने की बात तहसीलदार ब्रजेश वर्मा ने बताई ।

द्वितीय चरण में होगा विस्तार

हवाईअड्डे से उड़ान शुरू होने के बाद द्वितीय चरण में इसका विस्तार किये जाने का प्रस्ताव है। विस्तारीकरण में आधा दर्जन गांवों को शामिल करके एयरपोर्ट का क्षेत्रफल 700 एकड़ किये जाने का प्रस्ताव है जिसके लिये प्रशासन की ओर से सर्वे कराया जा रहा है। राजस्व विभाग द्वारा किये जा रहे सर्वे में विस्तारीकरण में आने वाली भूमि की जांच करके गांव का नाम, भूमि की श्रेणी ,गाटा संख्या  व भूमि के स्वामी आदि का पता लगाया जा रहा है ताकि संबंधित को मुआवजा इत्यादि दिया जा सके। गौरतलब हो कि सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व सिंगरौली परिक्षेत्र में हवाईअड्डा स्थापित करने का निर्णय लिया था ताकि यूपी के अंतिम और औद्योगिक क्षेत्र में लोगों को विमान यात्रा के लिये वाराणसी की लम्बी दूरी की यात्रा से छुटकारा मिल सके। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए म्योरपुर के हवाईपट्टी इस कार्य के लिये सबसे उपयुक्त पायी गयी । हवाईपट्टी को उच्चीकृत करके हवाईअड्डा बनाने के लिए शासन से धन अवमुक्त किया लेकिन अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के स्वामी इसके लिये तैयार नही थे। काफी जद्दोजहद के बाद भूमि अधिग्रहण का काम पूरा किया गया हालांकि अभी भी एक काश्तकार इसके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गये है जिसके निस्तारण के पश्चात पूर्ण रूप से हवाईअड्डा का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा। इस हवाईअड्डे के चालू होने से पूर्वांचल के यह दूसरा स्थान होगा जहां से हवाई यात्रा की सुविधा ली जा सकेगी। 

जल्द होगा बीसीएएस की टीम का मुआयना

एयरपोर्ट  पर हवाईजहाजों के आवाजाही के मद्देनजर सुरक्षा मानकों की जांच हेतु  ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी( बीसीएएस) की टीम बहुत जल्द म्योरपुर हवाईअड्डे का निरीक्षण करेगी। जिसमे टीम एयरपोर्ट स्थित हवाईपट्टी की भार क्षमता,रनवे के परिक्षेत्र में निर्माण व बाधा की जांच, समूचे इलाके के डेंजर जोन की जांच समेत यात्रियों के सुरक्षा हेतु आवश्यक उपायों का  सम्पूर्ण निरीक्षण करके एनओसी देने का काम करेगी। जांच में अगर कोई बाधा पहुचाने या भविष्य में सुरक्षा में खलल डालने वाले निर्माण पाये गये तो उन्हें ध्वस्त करने का भी कम किया जायेगा। इसके पश्चात एनओसी मिलने के बाद ही उड़ान शुरू होने का रास्ता साफ हो सकेगा। नवंबर माह से उड़ान भरने की तैयारियों के बीच टीम के आने की संभावना है। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन और विमानपत्तन प्राधिकरण के अधिकारी पूरी तरह सामंजस्य बिठाकर तैयारियो में लगे हैं।

ये गांव होंगे दोबारा विस्थापित

म्योरपुर में बन रहे एयरपोर्ट के दूसरे चरण के सर्वे में इर्द गिर्द के कुल छह गांव की भूमि इसकी जद में आयेगी। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की प्रक्रिया शुरू होने से इसके इर्द गिर्द बसे म्योरपुर , कुंडाडीह, बलियरी, हरहोरी ,करकोरी व बभनडीहा गांवों के लोगो की बेचैनी बढ़ गयी है। इन चिन्हित गांवों के निवासी पांच दशक पूर्व सिंगरौली क्षेत्र से रिहंद बांध बनने के दौरान विस्थापित होकर यहां बसे हैं। अब एक बार फिर उन्हें एयरपोर्ट बनने के कारण फिर से उजड़ने का खतरा सामने दिखाई पड़ रहा है। वहीं म्योरपुर के पूर्व सरपंच गौरीशंकर सिंह ने मांग की है कि एयरपोर्ट का विस्तार पश्चिम दिशा में करने से इलाके का एक मात्र कस्बा उजड़ने से बच जायेगा क्योंकि पूर्व में पूरी तरह आबादी बसी हुई है जिसे मुआवजा देकर हटाया जायेगा वही पश्चिम में सरकारी भूमि है।समाजसेवी रामदेव तिवारी ने कहा एक बड़ी आबाड़ी जो पहले ही एक बार उजड़ कर बड़ी मुश्किल से बस पायी है।कि अब दोबारा उजड़ने का खतरा मंडरा रहा है इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिये।