भाजपा एमएलसी चंचल को घर से मिलेगी चुनौती


(अजीत सिंह)
गाजीपुर(काशीवार्ता)। समाजवादी पार्टी के लिए राहतभरी खबर है। भाजपा के एमएलसी एवं अश्वमेघ घोड़े की तरह सियासत में दौड़ लगा रहे चंचल को उनके घर सैदपुर से चुनौती मिलेगी। पूर्व एमएलसी एवं सपा नेता कैलाश सिंह ने सीधे चंचल को चुनौती दी है। कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अगर टिकट दिया तो वह चंचल के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। कैलाश के इतना कहते ही जिले में सियासी पारा चढ़ गया। लोगों का कहना है कि चंचल के अश्वमेघ के घोड़े को कैलाश सिंह ने सैदपुर में रोक पाने में समक्ष रहे तो ठीक है, वरना यह घोड़ा तेतारपुर से सीधे बलिया बार्डर पर जीत का झंडा फहरा देगा।

सपा नेता कैलाश सिंह


बतादें कि सैदपुर के अहिरौली निवासी कैलाश सिंह दो बार एमएलसी रह चुके हैं। वह रिश्ते में चंचल के चचेरे साले भी लगते हैं। यह भी चर्चा है कि इस समय उनका चंचल के ससुराल पक्ष से अच्छे रिश्ते अच्छे नहीं है। इसलिए वह और जोर बना रहे हैं कि उन्हें सपा मैदान में उतारे। वैसे वह काफी चर्चित व्यक्ति हैं। अभी तक सपा से कोई भी नेता एमएलसी का चुनाव लड़ने को तैयार नहीं था। अचानक दो दिन पहले कैलाश सिंह के सोशल मीडिया पर फोटो शेयर होने लगे। सूत्रों की मानें तो सानंद सिंह ने सीधे पार्टी सुप्रीमो से कह दिया है कि वह एमएलसी का चुनाव नहीं लड़ेंगे। सानंद सिंह के इंकार के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि जल्द सपा अपना उम्मीदवार घोषित करेगी, जो चंचल को सीधे तौर पर मजबूती से फाइट दे सके।
एमएलसी विशाल सिंह चंचल के सियासी पन्नों को पल्टा जाए तो उन्होंने अपने सियासी कैरियर की शुरूआत सपा से बगावत करके की थी। वर्ष 2016 के विधान परिषद चुनाव में उनकी जगह डा. सानंद सिंह को टिकट सपा से मिलने पर उन्होंने निर्दल ही एमएलसी का चुनाव लड़ना उचित समझा। उनके समर्थकों ने खूब मेहनत की और वह चुनाव जीत गए। उस समय उनके विजय रथ पर मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी कृष्ण की भूमिका में सवार थे। सपा की खाकी का दमन चुनाव में जारी था। सीधे अखिलेश यादव ने फोन करके कहा था कि डा. सानंद सिंह की हरहाल में जीत होनी चाहिए। उस समय ओमप्रकाश सिंह मंत्री थे। उनके इशारे पर भी खाकी नाचती थी। एक वाक्या सभी को याद होगा। जब अफजाल अंसारी निर्दल चुनाव लड़ रहे विशाल सिंह चंचल के चुंगी स्थित कार्यालय पर पहुंचे तो उसी समय सपा के नेताओं ने फोन कर दिया कि पैसा और बाइक बंट रही है। पुलिस ने तत्काल छापा मारा। काफी देर तक खाकी सियासतदानों से उलझती रही। दो दो हाथ करती रही। हालांकि उसे कुछ हाथ नहीं लगा। आज वही खाकी चंचल के छोटे से इशारे को समझने में देर नहीं लगाती है। यानि खाकी के काफिले के साथ ही चंचल का काफिला निकलता है। आज चंचल की तूती बोलती है। जो कल चंचल के खिलाफ थे, आज वे हाशिए पर आ गए हैं। एक बात और सियासी रूप से चंचल और अफजाल के रास्ते जुदा हैं। दोनों एक दूसरे के विरोधी पार्टी के रथ पर सवार हैं। ऐसे में यह तो तय है कि इस बार का एमएलसी चुनाव काफी रोचक होगा। एमएलसी विशाल सिंह चंचल जिला पंचायत से अपने चुनाव का शंखनाद कर भी दिए। पहली बार अपनी सरहज को चेयरमैन की सीट पर बैठाने के बाद जिला पंचायत सभागार पहुंचे थे। उन्होंने अपने खास प्रधानों एवं बीडीसी की समस्या सुनीं। चंचल रणनीति के तहत प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को प्रत्येक ब्लाकों का निरीक्षण करा रहे हैं और सीधे ग्राम प्रधान और बीडीसी से रूबरू हो रहे हैं। यही वोटर उनकी किस्मत एक बार फिर चमका सकते है। उन्हें चुनाव में महाराज जी के करीबी होने का भी बड़ा सियासी लाभ मिलेगा।