निकाय चुनाव की बढ़ी हलचल, विकास कार्यों पर लगेगा ग्रहण


वाराणसी (काशीवार्ता)। अगले माह होने वाले नगर-निकाय के चुनाव को देखते नगर निगम में इन दिनों हलचल बढ़ गई हैं। वहीं इसकी सुगबुगाहट से ही कई छोटी बड़ी विकास योजनाओं पर ग्रहण लग गया है। चुनाव को देखते हुए ‘संभव’ कैम्प का आयोजन संभव नही हो पा रहा है। दरअसल, निकाय चुनाव सामने होने की वजह से निगम के ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी परिसीमन की सूची व सर्वे रिपोर्ट तैयार करने में जुट गए हैं। देखा जाए तो उनके लिए ये एक बहाना भी बन गया है। संभव कैंप में जनता को अपनी मूलभूत समस्या सीवर, सड़क, सफाई कराने के बाबत शिकायत करने का एक अच्छा पड़ाव मिल गया था, लेकिन आज स्थिति इसके ठीक विपरीत है। वहां अब इनकी कोई सुनने वाला नही है। इधर, अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल शहर में बढ़ते अतिक्रमण, चौराहों के चौडीकरण सहित अन्य विकास कार्यों को कराने का ये उचित समय नही है।
भाजपा-सपा कार्यकर्ताओं ने पेश की दावेदारीनगर निकाय चुनाव की आहट आते ही किस्मत आजमाने वाले नेताओ की भाग दौड़ भी तेज ही गई हैं। हालांकि अभी तक यह निर्णय नहीं हो सका है कि मेयर की सीट सामान्य, महिला या ओबीसी के लिए आरक्षित होगी। बावजूद इसके लोग अपने तिकड़म में लगे हैं। वे इसके लिए कोई मौका छोड़ना नही चाहते हैं। इनमें कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनकी पहचान समाजसेवी की है।
25 वर्षों से भाजपा के कब्जे में नगर निगम
1995 में नगर निगम बनने के बाद पहली मेयर सरोज सिंह ने चुनाव जीता और मेयर बनीं। इसके बाद अमरनाथ यादव, कौशलेंद्र सिंह ने कुर्सी सम्भालीं। वर्ष 2012 के चुनाव में राम गोपाल मोहले ने जीत दर्ज की। जबकि 2017 में भाजपा की ही मृदुला जायसवाल ने कमल खिलाया। इस बार भाजपा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। चूँकि पीएम मोदी दो बार से काशी के सांसद हैं, इस वजह से भी पार्टी के लिए यह सीट बरकरार रखना जरूरी है।
मेयर पद हेतु संभावित दावेदार
भाजपा से मीना चौबे, रानिका जायसवाल, रीता जायसवाल, राहुल सिंह, राजेश त्रिवेदी, पूजा दीक्षित, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, साधना वेदांती, अशोक चौरसिया, अशोक तिवारी, अश्वनी पाण्डेय, पूर्व मेयर कौशलेंद्र सिंह व वर्तमान मेयर मृदुला जायसवाल अपनी-अपनी दावेदारी करती नजर आ रही हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद कोटे से अशोक यादव का नाम चल रहा है। समाजवादी पार्टी का इतिहास मेयर चुनाव में बहुत अच्छा नही रहा है। पिछले कई दशकों से पार्टी को दूसरे पायदान पर ही संतोष करना पड़ रहा है। वहीं टिकट की बात करें तो यदि उनके कार्यकर्ताओं की मुराद पूरी नहीं होती तो वे बगावत पर उतर आते हैं। फिलहाल यहां भी टिकटार्थियों की लंबी चौड़ी फौज है। पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी, डॉ.ओ.पी.सिंह, दीपचंद गुप्ता, आनन्द मौर्या, सत्य प्रकाश सोनकर (सोनू), लालबाबू सोनकर, डॉ.राम बालक पटेल, सुनील मिश्रा व सम्भावित महिला प्रत्याशियों में रीबू श्रीवास्तव व पूजा पटेल के नाम की चर्चा है। यदि मेयर की सीट महिला सामान्य होती है तो समाजवादी पार्टी एक बार फिर कायस्थ कार्ड खेलने का प्रयास कर सकती है।