दरोगा के मोबाइल कॉल डिटेल से खुलेगा हमले का राज


(राजेश राय)
वाराणसी(काशीवार्ता)। कल शाम रोहनिया के दरेखु क्षेत्र में दरोगा को गोली मारने के २० घंटे बाद भी घटना की तह तक पहुंचने में पुलिस नाकाम रही है।पुलिस की सारी कवायद सीसीटीवी फुटेज की जांच और मोबाइल सर्विलांस तक ही सीमित है। हमलावर किधर से आए और किधर भागे अभी कुछ पता नहीं चल पाया है।वैसे दरोगा अजय यादव का मोबाइल घटनास्थल से लगभग दो किलोमीटर दूर दरेखू के पास चालू हालत में मिला है, जबकि कल पुलिस ने कहा था कि घटना के कुछ देर बाद मोबाइल बंद हो गया था।
वैसे अभी तक के घटनाक्रम से मिले सारे साक्ष्य पुरानी रंजिश की तरफ इशारा कर रहे हैं। क्योंकि अगर सिर्फ पिस्टल लूट के इरादे से इस घटना को अंजाम दिया गया होता तो हमलावर दरोगा को गोली मारने के बाद पिस्टल लूट कर आसानी से फरार हो गए होते, लेकिन दरोगा के बयान और मौके से मिले सबूतों से पता चलता है कि हमलावरों से पहले दरोगा की जमकर मारपीट हुई थी। इसके बाद जब दरोगा ने दो हमलावरों को पकड़ लिया तो तीसरे हमलावर ने दरोगा की पिस्टल से उसे गोली मारकर सभी फरार हो गए। मौके से मिले दरोगा के बैज और नेमप्लेट से मारपीट की पुष्टि होती है। सवाल यह भी है कि किसी पुलिस वाले से कोई पूर्वनियोजित होकर मारपीट क्यू करेगा। आखिर कोई क्यों दरोगा को सबक सिखाना चाहता था।
वैसे हमलावर भी नौसिखिए प्रतीत होते हैं। ऐसा नहीं होता तो भागते समय वे दरोगा का मोबाइल लेकर नहीं जाते। इससे पुलिस को उनके भागने के रास्ते का काफी कुछ अंदाजा हो गया है। पुलिस भी उन्हीं रास्तों में पड़ने वाले सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच कर रही है।
दरोगा ने अपने बयान में दोहराया है कि हमलावर कम उम्र के थे। लगभग 18 से 20 साल के बीच के रहे होंगे। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि हमलावर शातिर अपराधी नहीं रहे होंगे। अब सवाल उठता है कि आखिर दरोगा कि किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है कि बात इतनी बढ़ जाय कि नौबत गोलीबारी तक पहुंच जाय। इस संबंध में पुलिस की जांच पुराने फामूर्ले जर जोरू और जमीन पर केंद्रित हो गई है। हो सकता है दरोगा ने किसी के मान सम्मान को इतनी ठेंस पहुंचाई हो कि हमलावरों को पुलिस की वर्दी का खौफ भी कम पड़ गया हो। इसकी संभावना ज्यादा प्रतीत होती है। आमतौर पर पुलिस का व्यवहार अमजनता के प्रति बहुत रूखा होता है, लेकिन ज्यादातर लोग पुलिस के इस व्यवहार को यह सोच कर स्वीकार कर लेते हैं कि कौन पुलिस से पंगा ले और उच्चाधिकारियों तक शिकायत नहीं पहुंचते। इसके अलावा पिछले दिनों कई घटनाएं पुलिस वालों द्वारा महिलाओं के यौन शोषण की भी सामने आई। इसमें कई पुलिस वालों को जेल की हवा भी खानी पड़ी। बहरहाल इस घटना के संबंध में पुलिस अभी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।लेकिन इतना तय है कि जब भी इस मामले का खुलासा होगा तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आयेंगे।
रूखा रहा है दरोगा का व्यवहार
मूलत: प्रतापगढ़ के रहने वाले दरोगा अजय यादव पिछले लगभग सात सालों से बनारस में तैनात थे। क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं की माने तो महकमे के साथियों और जनता के प्रति उनका व्यवहार थोड़ा रूखा रहा है। चर्चाओं पर विश्वास करें तो हमले के पीछे यह एक बड़ी वजह हो सकती है।
दरोगा पुराने बयान पर कायम
‘काशीवार्ता’ के रोहनिया प्रतिनिधि ने जब दरोगा से आज सुबह मुलाकात की तो वे अब भी अपने पुराने बयान पर कायम हैं कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है और वे जब अपने निर्माणाधीन मकान से वापस लौट रहे थे तो मोटरसाइकिल सवार तीन हमलावरों ने उन्हें रोका। फिर कहा कि बहुत गुंडे बनते हो। इसके बाद हाथापाई की। फिर गोली मार कर भाग गए।