श्रद्धालुओं की मौत से व्यवस्था पर उठ रहे सवाल


वाराणसी (काशीवार्ता)। गंगा में सोमवार को सुबह से लेकर शाम तक चार लाश मिलने पर घाट पर रहने वाले स्तब्ध रह गये। दूसरी ओर बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आये 2 दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं की भीषण गर्मी से हुई मौत पर लोग यहां की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने लगे हैं। गंगा में जल पुलिस की कच्छप गति,भीषण गर्मी में दर्शनार्थियों के लिए त्वरित मेडिकल सुविधा,कॉरिडोर के इर्दगिर्द प्याऊ आदि की व्यवस्था में हो रही हीलाहवाली से ‘काशी-गंगा’ की छवि धूमिल हो रही है। इस बार डूबने से मौत की घटनाएं अचानक बढ़ गयी है।
आंकड़ों की यदि बात करें तो गंगा में डूबकर मरने वालों की संख्या जल्द ही 50 तक पहुंच सकती है। लोग तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं। कारण चाहे जो भी हो पर ऐसी घटना से उन परिवारों के लिए काशी व गंगा बदनुमा साबित हो रही है जिनके घर के चिराग,परिवार के मुखिया गंगा स्नान के दौरान अपनी जान गंवा दे रहे हैं। रोते बिलखते परिजनों के मुख से यही बात निकल रही है कि ‘हे गंगा मैया ये आपने क्या किया, ‘काशी नगरी ने इतना बड़ा दर्द दिया जो ता उम्र याद रहेगा’। बताते चले कि कल भी अहिल्याबाई घाट पर झारखंड के 2 किशोर व एक स्थानीय युवक का शव गंगा में उतराया मिला तो सिंधिया घाट पर शाम को मठ में रहने वाले 70 वर्षीय संत की भी डूबने से मौत हो गयी। समय रहते यदि पुलिस प्रशासन इस बाबत कोई ठोस रणनीति नही बनाती है तो आने वाले दिनों में समस्या बढ़ सकती है। तैराकी आती नही फिर भी उतर जा रहे पानी में- अधिकांश हादसों में यही बात सामने आयी है कि मृतकों को तैरना नहीं आता था या पानी में खिलवाड़ कर रहे थे। कहीं कोई गहरे घाट पर तो कोई सुनसान घाट पर गोता लगा रहा था।
सेल्फी का शौक ले जा रहा मौत के मुहाने पर
कई घटना में ये बात भी सामने आयी है कि गंगा में सेल्फी लेने के दौरान इस तरह की घटना हुई। घाट किनारे पानी में उतरकर कुछ युवक सेल्फी लेते,वीडियो बनाते अक्सर दिख जाते हैं।
इस बार चुनौतीभरा होगा सावन मास
सावन में इस बार विश्वनाथ कॉरिडोर व गंगा स्नान करने वाले कांवरियों की उमड़ने वाली भीड़ स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती भरी होगी। जल पुलिस,एनडीआरएफ के अलावा कॉरिडोर में दर्शनार्थियों के स्वास्थ्य संबंधी सुविधा को विशेष खाका तैयार करना होगा।