सनातनी अध्यात्म का सार है गंगा


वाराणसी(काशीवार्ता)। मां गंगा सहित अन्य सहायक नदियों में लोग अपने घर की पूजा सामग्री, साड़ियां, कपड़े डाल देते हैं। वास्तव में यह गंगा की पूजा नहीं उस पर अत्याचार है। नदी की पूजा का अर्थ केवल घंटा बजाना नहीं, वरन उसकी सफाई है । यह प्रयास ही नदी की वास्तविक पूजा है लोगों को गंगा में गंदगी न करने के लिए जागरूक करते हुए नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने केदार घाट से दशाश्वमेध घाट तक गंगा की स्वच्छता के लिए अलख जगाते हुए कही। लाउडस्पीकर से लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हुए राजेश शुक्ला ने कहा कि गंगा भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड व सनातनी अध्यात्म का सार हैं। गंगा स्वयं में एक संस्कार हैं इसे मैला न करें । 50 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका केवल गंगा के जल पर निर्भर है । 25 करोड़ लोग तो पूर्ण रूप से गंगाजल पर आश्रित हैं । गंगा आस्था ही नहीं आजीविका और केवल जल का ही नहीं, बल्कि जीवन का भी स्रोत है। हमारे लिए गंगा नदी की तरह नहीं, बल्कि एक जागृत स्वरूप हैं। इसके आंचल को कचरे से बचाएं । गंगा का संरक्षण करें।