पांच साल में बैठक चार, ऐसे चल रही शहर की सरकार


वाराणसी। नगर निगम सदन को मिनी विधानसभा कहा जाता है। इस सदन व कार्यकारिणी की बैठकें महत्वपूर्ण होती हैं। इसमें शहर के विकास का खाका खींचकर उस पर निर्णय लिए जाते हैं। बैठक के दौरान सभी सदस्य अपने वार्डों की समस्या व प्रस्ताव रखते हैं। इस पर सभी की सहमति से कार्य होता है। लेकिन यहां प्रावधान के मुताबिक बैठक नहीं हो पा रही है। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार पांच सालों में सिर्फ चार कार्यकारिणी की बैठक हुई है। नियमानुसार 30 होनी चाहिए। इसको लेकर पार्षदों में आक्रोश है। मेयर मृदुला जायसवाल भी इस विषय पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
कोरोना के बाद नहीं हुई बैठक
नगर निगम की परिषद कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार मिनी सदन या कार्यकारिणी की अंतिम बैठक नगर आयुक्त गौरांग राठी के समय में 18 अक्टूबर 2021 को हुई थी। यहां तक कि कई पार्षदों ने कहा कि प्रत्येक साल नियमित कार्यकारिणी की छह बैठकें होनी चाहिए थी। इसकी जगह पांच सालों में मात्र चार बैठकें हुई हैं। इसके बाद से एक भी बैठक नहीं हुई है।
एक कार्यकारिणी की बैठक बुलाने का पूर्ण एवं स्वतंत्र अधिकार महापौर का है। वह स्वविवेकानुसार बैठक आहूत करती हैं। जब चाहे बैठक बुला सकती हैं। उनके निर्णय के अनुसार हम बैठक की कार्यवाही पूर्ण कराने के लिए हर समय तैयार हैं।
प्रणय सिंह , नगर आयुक्त
यह महापौर की मनमानी है। वह जानबूझकर कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुला रहीं हैं। हम लोगों ने महानगर अध्यक्ष से भी शिकायत की। परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई।
कुंवर कृष्णकांत सिंह
पार्षद, भाजपा।
इन पांच सालों में कार्यकारिणी की अभी तक मात्र तीन बैठकें हुई हैं। नगर निगम द्वारा किसी भी प्रकार का विकास का खाका नहीं दिया रहा है। मैंने इस्तीफे की पेशकश कर दी है।
रमजान अली, पार्षद, कांग्रेस।
यह लापरवाही है। जानबूझकर दो वर्षों से कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई जा रही है। क्षेत्र की समस्याओं को लेकर जनता बहुत आक्रोश में है। चुनाव में हम क्या जवाब देंगे।
अनिता ठाकुर, पार्षद निर्दल।
फंड नहीं मिलने से काम है ठप
निगम प्रशासन की ओर से पार्षदों को क्षेत्र के विकास के लिए सालाना 25 लाख फंड दिया जाता है। इन पांच सालों में सिर्फ तीन साल का फंड 45 लाख रुपये ही दिया गया है। जबकि उन्हें नियमत: 1 करोड़ 25 लाख फंड मिलना चाहिए था।
क्षेत्र की समस्याएं बनीं मुसीबत
जनता वार्ड के पार्षदों का चयन क्षेत्र की समस्याओं को उनके माध्यम से निपटाने के लिए करती है। इस समय पार्षदों की समस्याओं के निराकरण के लिए कार्यकारिणी की बैठक नहीं होने के कारण वह जनता के निशाने पर हैं।