गहमर में बनेगा आजाद हिन्द स्मृति स्तंभ


गाजीपुर (काशीवार्ता)। आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की महान आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं ने भारत को आजाद कराने और दिल्ली चलो की कसम खायी थी। देश तो आजाद करवा दिया। लेकिन आजादी के बाद नेहरू सरकार ने आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं को न ही सम्मान दिया और न ही इतिहास में स्थान। सुभाषवादी पार्टी भारतीय अवाम पार्टी ने इन्हीं गुमनाम योद्धाओं की तलाश और सम्मान के लिए चैखट प्रणाम अभियान शुरू किया। भारतीय अवाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कुअर मुहम्मद नसीम रजा खां के नेतृत्व में चैखट प्रणाम अभियान एशिया के सबसे बड़ा गहमर गांव में पहुंचा और वहां आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं के घर की चौखट को प्रणाम किया। तस्वीर को सलामी दी और उनके परिवार के सदस्यों को सुभाष टोपी पहनाई। गहमर गांव में 6 से अधिक योद्धाओं के परिवारों का पता चला जिसमें स्व. रघुनाथ सिंह पुत्र स्व. डोमा सिंह, स्व. सुखनन्दन उर्फ सुखारी सिंह पुत्र स्व. दूधनाथ सिंह पट्टी बाबूराव, रामचैतरा, दक्षिण टोला, गहमर के निवासी हैं और आपस में चचेरे भाई हैं। दोनों भाई ब्रिटिश सेना में थे लेकिन 1942 में जब जापानियों ने ब्रिटिश सेना के भारतीय सिपाहियों को गिरफ्तार कर लिया उस समय एशिया में सुभाष चन्द्र बोस का आजादी का आन्दोलन चल रहा था। गिरफ्तार सिपाहियों को आजाद हिन्द फौज में शामिल होने पर सम्मान और कैद से आजादी मिल रही थी, इसलिए गहमर के दोनों भाई आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए और ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध में नेताजी सुभाष के साथ भाग लिया।
स्व. डोमा सिंह के पुत्र मकसूदन सिंह एवं स्व. दूधनाथ सिंह के पुत्र प्रवेश उर्फ सद्दाम सिंह को टोपी पहनाकर सम्मानित किया। दोनों के चित्रों को तथा चौखट पर सलामी दी। चैखट प्रणाम अभियान एवं आजाद हिन्द फौजयों की खोज में कुंअर मुहम्मद नसीम रजा खां के साथ पार्टी के पदाधिकारियों में गाजीपुर के जिला महसचिव मोहम्मद अफरोज खां, सचिव अशोक श्रीवास्तव, गहमर निवासी पत्रकार सत्या उपाध्याय, कवि फजीहत गहमरी, नसीम खान आदि आदि लोग शामिल रहे।