सरकार के मुलाजिम उड़ा रहे शासनादेश की धज्जियां!


(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)। प्रदेश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित योगी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस पर जोर दे रही है। सीएम योगी ने इसके लिए मंत्रियों के साथ सभी लोक सेवक, आईएएस, पीसीएस अफसर व उनके परिजनों को अपनी समस्त चल व अचल संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा का निर्देश दे रखा है। इसके तहत प्रत्येक वर्ष सभी मंत्री अपनी संपत्ति का ब्यौरा देंगे साथ ही आईएएस, आईपीएस, पीसीएस अफसर व परिजनों की जानकारी देंगे कि हर साल चल व अचल संपत्ति में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है। इस विवरण को आमजनता के अवलोकनार्थ आॅनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा ताकि जनता उसे देख सके। इस शासनादेश का सरकारी महकमे में पलीता लगाया जा रहा है । अधिकारी व कर्मचारी हैं। सरकार के आदेशों की अनदेखी कर अपनी जेब भरने में मशगूल हैं।
ऐसा ही कुछ नजारा पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में देखने-सुनने को मिल रहा है । यहां तैनात ईसीजी कर्मी सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए अपनी जेब गर्म करने में लगा है। अस्पताल सूत्रों की मानें तो मरीजों की जांच हेतु नि:शुल्क व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है। वही हृदय की जांच हेतु अस्पताल प्रशासन द्वारा 50 रुपये शासन के निर्देश पर शुल्क निर्धारित किया है। खेल यहीं पर शुरू होता है। जिन मरीजों को ईसीजी के लिए रसीद कटवाना जरूरी है इसकी जानकारी होने पर वे रसीद तो कटवा लेते हैं लेकिन जिन्हें जानकारी नहीं होती वे सीधे ईसीजी कक्ष पहुंच जाते हैं। ईसीजी के लिए पहुंचे मरीज से जब काउंटर पर बैठे व्यक्ति द्वारा रसीद मांगी जाती है तो मरीज या उनके परिजनों के यह कहने पर की रसीद नहीं है। इस पर काउंटर पर बैठा जिम्मेदार शख्स 50 रुपये जमा करने की बात कहकर ईसीजी कर देता है लेकिन इसके एवज में वसूली गई रकम को अस्पताल के कोष में जमा नहीं किया जाता। बताते हैं कि ईसीजी इंचार्ज द्वारा प्रतिदिन इस तरह की अवैध वसूली कर राजस्व में सेंधमारी किए जाने का कार्य किया जा रहा है। यंू कहें कि विगत कई वर्षों से अस्पताल में यह खेल चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसकी जानकारी सीएमएस तक को है परन्तु संबंधित पटल पर बैठे दबंग कर्मी की वजह से कोई कार्रवाई नहीं होती है। अस्पताल में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो
चुकी है कि अब अधिकारी भी ऐसे दबंगों पर हाथ डालने से कतराते हैं। इस संबंध में जब सीएमएस से वार्ता की कोशिश की गयी तो उन्होंने फोन की रीसिव नहीं किया।