विकास का धन डकारने वाले प्रधान जाएंगे जेल


गाजीपुर (काशीवार्ता)। जिले की ग्राम पंचायतों के विकास के लिए भेजी गई लाखों तथा करोड़ों की धनराशि में गबन करने वाले ग्राम प्रधान एवं सचिव इस बार जेल की हवा खाएंगे। डीएम एमपी सिंह ने धनराशि खर्च करने और विकास का बजट नहीं खर्च करने वाली ग्राम पंचायतों में जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने जिला स्तरीय अधिकारियों की एक कमेटी बनाई है। जो एक वर्ष में खर्च की गई धनराशि की विस्तृत जांच करके प्रस्तुत करेंगी। अगर जांच अधिकारियों ने किसी भी प्रकार की सांठगांठ या फिर जांच को प्रभावित करने की कोशिश की तो सीधे विभागीय कार्रवाई के साथ संबंधित के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। डीएम के इस आदेश से प्रधानों में खलबली मची हुई है। जिले में 1238 ग्राम पंचायतों में एक वर्ष में करीब दो अरब 55 करोड़ से अधिक की धनराशि राज्य वित्त एवं 14वां वित्त आयोग से भेजी गई है। इस धनराशि से शासन ने विकास कार्य कराए जाने के निर्देश दिए थे। मगर प्रधानों ने सरकारी धन में जमकर खेल किया। कई ऐसी ग्राम पंचायतें रहीं, जहां पर प्रधान एवं सचिव ने पुराने कार्य को नया दिखाकर धनराशि हड़प ली गई। ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या सैकड़ों में है। पंचायतों ने स्ट्रीट लाइट के साथ ही नाली खडंजा और स्कूलों के विकास के मद में धनराशि उतारकर हजम कर डाली। शेरपुर, रेवतीपुर, बारा, गहमर और नवली ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां पर हर वर्ष एक करोड़ से अधिक की धनराशि आती रही है। रेवतीपुर, बारा, गहमर और नवली में आई धनराशि में जमकर खेल हुआ है,यहां पर फर्जी भुगतान भी हुए। डीएम की ऐसी ही ग्राम पंचायतों पर अधिक नजर है, जहां पर एक करोड़ से अधिक के विकास कार्य पंचायतों ने किए हैं। क्योंकि यहां पर आबादी कागजों में अधिक दर्ज है। डीएम को आशंका थी कि 1238 ग्राम पंचायतों में अधिकांश पंचायतों के प्रधानों एवं सचिवों ने फर्जी भुगतान खूब किए। पंचायतों ने टेंडर निकालने के नाम पर भी खूब लूटपाट मचाई। जखनियां के एडीओ पंचायत ने सभी हदें पार कर दीं। यहां की अधिकांश पंचायतों में खूब गड़बड़ी की गई। जिसमें एडीओ पंचायत ने साथ दिया। इनके खिलाफ कभी भी डीएम बड़ा एक्शन ले सकते हैं। यही हाल सदर, बाराचवर, कासिमाबाद मरदह, बिरनो, जमानियां, भदौरा, देवकली, करंडा ब्लाक में खेल हुआ। यहां के एडीओ पंचायत और सचिवों की भूमिका संदिग्ध रही। अधिकांश सचिव प्राइवेट कम्प्यूटर आपरेटर के यहां से खेल करते रहे, फर्जी रसीदें छपवाई गई हैं। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए डीएम ने जिला स्तरीय अधिकारियों की टीम बनाई। उन्हें पांच पांच गांवों की जांच का जिम्मा दिया गया।
एक टीम में तीन अधिकारियों को शामिल कराया गया। ताकि जांच में दिक्कत न हो। इसमें तकनीकी टीम को भी शामिल किया गया है। उन्होंने इसकी विस्तृत रिपोर्ट एक माह के भीतर मांगी है। कहा है कि जिन पंचायतों ने पैसा खर्च किया और जिन पंचायतों ने नहीं खर्च किया, दोनों की जांच करके रिपोर्ट दें। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।