बेबस हाल में मिर्जापुर का पक्का घाट


मिर्जापुर। मिर्जापुर का विंध्य क्षेत्र आदिकाल से शक्ति साधना का केंद्र रहा है। माता विंध्यवासिनी के अनन्य भक्त नबालक साव ने अपनी धर्मपत्नी तुलसी देवी के सम्मान में अपनी पूंजी से नगर में गंगा के तट पर बेजोड़ आकर्षक नक्काशी वाले पत्थर से पक्का घाट का निर्माण कराया था। करीब 175 वर्ष बाद भी आलीशान पक्का घाट नारी सम्मान के प्रतीक के रूप में खड़ा है।हालांकि अब ये वक्त की मार और उपेक्षा से धसकने की ओर बढ़ रहा है। कहने को तो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 7 मार्च 2019 में इसी घाट से नमामि गंगे योजना के प्रस्तावित योजना का शुभारम्भ किया था। 7 घाट के जीर्णोद्धार के लिए 27 करोड़ की योजना भले ही खत्म हो गई, लेकिन घाट जस का तस रह गया। तीन साल तक चले घाट के निर्माण में करीब एक लाख 82 हजार रुपया खर्च किया गया था।बेजोड़ कलाकृति से सजा पक्काघाट बारहदरी से छनकर आने वाली हवा व पतित पावनी मां गंगा नदी का दिव्य दर्शन आज भी घाट पर आने वालों को सुकून प्रदान करता है। स्
ारकारी स्तर बरती जा रही लापरवाही से घाट की बदहाली देख जर्रा जर्रा सिसक रहा है जिससे पड़ी दरारे खुद हकीकत बयां कर रही हैं।बता दें कि घाट के सौंदर्यीकरण के नाम पर 17 करोड़ खर्च कर दिया गया लेकिन पक्का घाट की दशा नहीं बदली। 31 दिसम्बर 2017 से प्रतिदिन मां गंगा की आरती विंध्य हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा जन सहयोग से किया जा रहा है। घाट पर जन सहयोग से लगा रंगीन फौवारा लोगों को मोहित करता है। जिसे बाढ़ के दौरान हटा दिया गया और धनाभाव के कारण दोबारा नहीं लग सका। दरकती घाट की दीवारें अपने बेबसी पर सिसक रही हैं। अतिक्रमण की होड़ से घाट का मार्ग दुबला होता जा रहा है। बढ़ती आबादी और उपेक्षित घाट की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो फोटो में ही बेजोड़ धरोहर पक्काघाट नजर आयेगा।