भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ बड़ा समझौता, व्यापार से लेकर रोजगार तक ऐसे होगा बड़ा फायदा


भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के तहत ऑस्टेलिया टेक्सटाइल, चमड़ा, आभूषण और खेल उत्पादों समेत 95 फीसदी से अधिक भारतीय वस्तुओं के लिए अपने बाजार में ड्यूटी फ्री एक्सेस देगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री डेन तेहान ने एक ऑनलाइन समारोह में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर दस्तखत किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरीसन भी मौजूद थे। भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अगले 4-5 वर्षों में भारत में 10 लाख रोजगार सृजन की उम्मीद करते हैं। आने वाले समय में भारतीय शेफ और योग इंस्ट्रक्टरों के लिए नए अवसर खुलेंगे। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच शिक्षा संस्थानों के सहयोग पर भी चर्चा हुई। पीयूष गोयल ने कहा कि हमारे लाखों युवा-युवती वहां पढ़ रहे हैं, उन सबके लिए एक तरह से वर्क वीजा को कानूनी तौर पर इस एग्रीमेंट के द्वारा कंफर्म किया गया है। ये एग्रीमेंट भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मित्रता और एकता का प्रतीक बनेगा। 

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया नेचुरल पार्टनर हैं, जो लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता के साझा मूल्यों से जुड़े हैं। 2 भाइयों की तरह 2 राष्ट्रों ने महामारी में एक-दूसरे का सहयोग किया। वहां से जो कच्चा माल आता है वो भारत में उत्पादन को बढ़ाने के लिए अच्छा है। शुरुआती संकेत बताते हैं कि 10 लाख से अधिक लोगों को इससे काम के अवसर अगले 4-5 सालों में मिलेंगे और आगे चलकर और बढ़ेंगे। लोगों को उम्मीद नहीं थी कि विकसित देशों के साथ भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर पाएगा। ये एक ऐसा देश है जहां के लोगों के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध हैं, हम दोनों एक-दूसरे की मदद करते हैं।

इस समझौते से द्विपक्षीय व्यापार पांच सालों में बढ़कर 45 से 50 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब पहुंचने की संभावना है, जो इस वक्त 27 अरब अमेरिकी डॉलर है। पीएम मोदी ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दोनों देश बेहद कम समय में इस समझौते पर पहुंचे हैं। ये समझौता हमारे बीच छात्रों, प्रोफेशनल और पर्यटकों का आदान-प्रदान आसान बनाएगा। जिससे ये संबंध और मजबूत हों। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक-दूसरे की आवश्यकताओं को पूरा करने की बहुत क्षमता है, मुझे विश्वास है कि इस समझौते से हम इन अवसरों का पूरा लाभ उठा पाएंगे। इस समझौते के आधार पर हम साथ मिलकर सप्लाई चेन का लचीलापन बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता में भी योगदान कर पाएंगे।