गुड़ की खीर खाकर शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत


वाराणसी। कार्तिक शुक्ल की पंचमी यानी आज डाला छठ पूजा का दूसरा दिन है। इसे लोक भाषाओं में खरना, शुद्धिकरण, लोहंडा या संझत भी कहा जाता है। महिलाओं ने आज भोर में 3 बजे शरबत पीकर व्रत की शुरूआत की। शाम को चूल्हे पर बनी गुड़ की खीर खाएंगी। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। आज पूरे घर के भोजन के सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं होगा। खरना का अर्थ है शुद्धिकरण, इसलिए भोजन गरिष्ठ या तामसिक प्रवृत्ति का नहीं होगा।


व्रती महिलाएं परिवार के साथ मिलकर ठेकुआ, फल-फूल तैयार कर रहे हैं। बांस की बहंगी बाजार से खरीदकर लाई गई हैं। गन्ना और पूजा के सामान तैयार किए जा रहे हैं। वहीं, रविवार शाम से लोगों का घाटों पर आना शुरू हो जाएगा। इसको लेकर गंगा घाटों, सरोवरों और तालाब पर तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। साफ-सफाई अभी ढंग से नहीं हो पाई है, मगर आयोजकों का कहना है कि कल शाम तक सब कुछ चकाचक मिलेगा। वाराणसी के अस्सी से लेकर बरेका के सूर्य सरोवर तक लोगों ने वेदिकाएं बनाकर जगह घेर दिया है। कुछ वेदिकाओं पर नगर निगम का लोगो भी रंग दिया गया है। जिसको जहां पर जगह मिली, वहीं पर स्थान घेरकर दीया प्रज्ज्वलित कर दिया है। वहीं बैठ स्थान की रखवाली भी कर रहे हैं। कुछ लोगों ने कब्जा बना रहे, इसके लिए वेदिकाओं के चारों ओर नगर निगम से लेकर यूपी पुलिस तक के लोगो तक बनाए हैं।
डूबते सूर्य को अर्घ्य कल: कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को ही छठ की मुख्य पूजा शुरू होती है। कल यानी 30 अक्टूबर को व्रती पूरे दिन निर्जला यानी कि बिना पानी के उपवास रखेंगी। सुबह में ठेकुआ, मिठाई, फल-फूल तैयार करके बांस की टोकरी में सजाया जाएगा। अपराह्न करीब 4 बजे तक महिलाएं अपने परिवार संग बांस की टोकरी और पूजा के सामान आदि लिए पैदल चलते हुए घाटों, तालाबों और कुंडों पर पहुंचेंगी। छठ माता का चौरा बनाकर दीप जलाया जाएगा। कुछ देर पूजा-पाठ के बाद जब सूर्यास्त का समय आता है, तो महिलाएं प्रसाद वाला सूप लेकर पानी में उतरेंगी। परिवार के लोग पीतल या तांबे के पात्र से जल लेकर सूरज देवता के सामने सूप पर अर्घ्य देंगे। महिलाएं डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करेंगी और तीसरे दिन की पूजा संपन्न हो जाएगी।


सूडा निदेशक ने घाटों की सफाई का लिया जायजा
वाराणसी। डाला छठ पर्व को देखते हुए शासन के निर्देश पर यहां आयी’ सूडा की निदेशक यीशु रस्तोगी ने आज प्रात: गंगा घाटों का अवलोकन कर अधिकारियों को साफ सफाई के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिया। उनके साथ अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी एमपी सिंह सहित अन्य कई अधिकारी उपस्थित थे। नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने ‘काशीवार्ता’ को बताया कि सूडा की निदेशक यीशु रस्तोगी ने वरुणा पार शास्त्री घाट ,राजघाट, पंचगंगा घाट का निरीक्षण किया। उन्होंने घाट के किनारे अस्थाई शौचालय बनाने, पानी का टैंकर लगाने के साथ ही पूजा वेदिकाओ के आस-पास सफाई का विशेष कार्य कराने का आदेश दिया है।
रेखा शर्मा ने बलुआ घाट पर परखी व्यवस्था
रामनगर(वाराणसी)। छठ पूजा की तैयारियां गंगा पार रामनगर में भी चल रही है। रामनगर नगर पालिका परिषद की चेयरमैन रेखा शर्मा पूरी तैयारियां अपने समाने करवा रही है। गंगा का जलस्तर इस बार बढ़े होने के कारण तैयारी में दिक्कत आ रही है लेकिन बलुआ घाट का समतलीकरण एवं साफ सफाई जोरों पर चल रही है। रामनगर नगर निगम अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया की दो जेसीबी, पांच ट्रैक्टर द्वारा लेबलिंग कराया जा रहा है आज 2 बजे तक तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। रेखा शर्मा ने छठ पूजा पर स्वास्थ्य शिविर लगाने के लिए मुख्य चिकित्साधीक्षक को पत्र लिखा है। उन्होंने मेले के लिए एंबुलेंस की भी मांग की है। पुलिस अधिकारियों को लिखे पत्र में उन्होंने गंगा तट पर मोटर बोट के साथ जल पुलिस की तैनाती की मांग की है, ताकि विशेष परिस्थिति में तत्काल जनता की मदद की जा सके।
रंग बिरंगे झालरों से जगमगाया सूर्य सरोवर
वाराणसी। छठ पूजा को देखते हुए मंडुवाडीह क्षेत्र के सूर्य सरोवर पर पूजा की तैयारियां पूरी कर ली गयी है। शुक्रवार को अंदर प्रवेश हेतु पर्ची बांटने का आखिरी दिन था और दोपहर तक लगभग 1 हजार पर्ची बट चुकी थी। छठ पूजा समिति बी एल डब्लू के प्रणय झा,आशीष कुमार,अमित कुमार व अन्य लोग व्रती महिलाओ को किसी तरह की तकलीफ न हो व्यवस्था में लगे हुए। समिति के लोगो ने बताया की 111 लीटर गंगा जल से सूर्यसरोवर की शुद्धि की जाएगी। एक व्रती महिला के साथ 5 लोग जा सकते हैं। रविवार की रात्रि में व्रती महिलाओं के साथ आने वाले लोगों के लिए चाय, खाना व रहने की भी व्यवस्था की गयी है। कोविड प्रोटोकाल के पालन हेतु मास्क की भी व्यवस्था की गयी है। बरेका सूर्यसरोवर को चारों तरफ रंग बिरंगे झालरों से सजाया गया है और अस्तास्तलगामी सूर्य को अर्ध्य देने के बाद सांस्कृतिक संध्या का आयोजन शाम 6:30 से 8:30 बजे तक किया। 108 बार हनुमान चालीसा का आयोजन होगा,समापन के बाद सुंदरकांड पाठ और प्रात: कालीन अर्घ्य के बाद कार्यक्रम की समाप्ति होगी।