एलजी के स्वागत के बहाने भाजपा दिखाएगी ताकत


(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। लहुरीकाशी की सियासी धरती को विकास का एहसास कराने वाले जम्मू एवं कश्मीर के एलजी एवं गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा के स्वागत के बहाने भाजपा 2024 को लेकर विरोधियों को ताकत दिखाएगी। इसको लेकर 14 अक्तूबर को भाजपा ने पूरी तैयारी कर ली है। सिधौना से लेकर सिन्हा के गांव मोहनपुरा तक स्वागत की जबरदस्त तैयारी है। इस दौरान एलजी 2024 की सियासी स्क्रीप्ट लिखकर विरोधियों को बेचैन करने की पूरी कोशिश करेंगे। भाजपा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह भाजपा कार्यकतार्ओं को लगातार फोन कर रहे हैं।
वर्ष 1984 से 2019 तक लगातार दस लोकसभा चुनाव लड़ने वाले मोहनपुरा गांव निवासी बीएचयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष, पूर्व सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री, एमटेक डिग्रीधारक एवं जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सियासत में कभी धैर्य नहीं खोया। वह सियासत में हारकर भी जीत जाते हैं। गिरकर भी संभल जाते हैं। तभी तो अपने जीवन काल में दस में महज तीन लोकसभा चुनाव जीतने वाले मनोज सिन्हा आज कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने में जुटे हुए हैं। वह गाजीपुर से सांसद एवं मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे तब उन्होंने जिले में विकास की गंगा बहाई थी। हर एक काम हुए थे। गंगा पर रेल कम रोड ब्रिज का निर्माण कराकर उन्हांने अपना नाम इतिहास के पन्नों दर्ज कर लिया। हालांकि विरोधियों को मनोज सिन्हा का विकास कभी रास नहीं आया। तमाम विकास एवं दावों एवं सबूतों के बावजूद गाजीपुर की जनता की अदालत में मनोज सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा। 2019 से लेकर अब तक मौजूदा बसपा सांसद का जनता में वह क्रेज नहीं दिखा, जो कभी मनोज सिन्हा का हुआ करता था। क्योंकि बसपा सांसद की पोटली पहले भी खाली थी और अब भी खाली है।
जब मनोज सिन्हा सांसद और केंद्रीय मंत्री थे तब उनकी झोली हमेशा गाजीपुर को विकास का उपहार देने के लिए भरी रहती थी। अब फिर मनोज सिन्हा जिले में आ रहे हैं। गाजीपुर की जनता उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। यह सोच रही है कि क्या विकास के लिए कराह रही लहुरीकाशी में कभी विकास की रोशनी दिखेगी। भले ही मनोज सिन्हा संवैधानिक पद पर बैठे हैं। वह चाहते तो बदहाल सिटी रेलवे स्टेशन चमक जाता। वह चाहते तो रेल कम रोड ब्रिज समय से पूरा होता। वह चाहते तो अंधऊ हवाई पट्टी से घरेलू उड़ाने शुरू हो जाती। वह चाहते तो वाशिंग पिट चालू हो जाता। वह चाहते तो गाजीपुर हारकर भी विकास के नए आयाम स्थापित करता। आखिर मनोज सिन्हा क्यों नहीं चाहते। सिर्फ इसलिए नहीं चाहते कि उनको गाजीपुर ने हराया। जिस मनोज सिन्हा को गाजीपुर की धरती जो मां है उसने सियासत में पाल पोसकर इतना बड़ा किया, जिसके बाद देश विदेश में उनका नाम किया। क्या मां के एक हार वाले सियासी थप्पड़ की सजा गाजीपुर का बेटा बदहाल करके देगा।
यह सवाल हर लहुरीकाशी की जुबान पर है। हर बेटे का असली सहारा मां का आंचल होता है। और हर दुख सुख में मां के आंचल का सहारा बेटे को चाहिए। खैर यह सब मनोज सिन्हा का विषय है। अब उनका बेटा अभिनव उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा है। 14 को मनोज सिन्हा के आगमन को लेकर भाजपाई गदगद हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार उनका जनपद आगमन हो रहा है। उनके आगमन को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।