जान बचाने को बाजार से जांच की बाध्यता


(राजेंद्र जायसवाल )
वाराणसी(काशीवार्ता)। सरकारी अस्पतालों में बढ़ता मरीजों का दायरा सरकार के सर्व सुलभ चिकित्सा व्यवस्था को आइना दिखा रहा है । मरीजों के बढ़ते दबाव व मैन पावर की कमी से चिकित्सकीय व्यवस्था पूरी तरह से बे पटरी होती दिखाई दे रही है। जिला अस्पताल में जहां मरीज अपनी जान बचाने को बाहर से जांच कराने को बाध्य हैं । कमोवेश ऐसी ही कुछ स्थिति बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय की भी है। बताते चलें कि अस्पतालों में आने वाले मरीजों के इलाज में पैथलाजी की जांच महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसी के आधार पर ही डाक्टर सही उपचार कर पाते है। इन दिनों मौसम की बेरुखी अच्छे खासे इंसान को भी बीमार कर रही है। वही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों के बढने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही हैं। मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी कर कहा कि पैथलाजी जांच समेत अन्य जांच हर हाल में अस्पताल में सुनिश्चित हो लेकिन मंडलीय अस्पताल कबीर चौरा के पैथलाजी विभाग में जांच कराने आने वाले मरीजों को घंटों इंतजार के बाद नंबर आने पर उन्हें कहा जाता है कि आमुख जांच नहीं हो पायेगी । ऐसी दशा में उन्हें बाजार की पैथलॉजी में महंगे दर पर जांच करानी पड रही है। अस्पताल में होने वाली प्रमुख जांच जो नहीं हो रही है उनमे सी.बी.सी. प्रमुख हैं। इसमें 21 प्रकार की जांच है। हार्ट की कोलेस्ट्रॉल, गठिया की सी आर एफ, विटामिन, इलेक्ट्रोलाइट, समेत आपरेशन से पूर्व होने वाली जांच एसबीएसएजी (हेपेटाइटिस) जांच नहीं हो रही । वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में बिना विशेषज्ञ डाक्टर के हो रही है डायलिसिस, तो हड्डी व जनरल सर्जरी विभाग का हाल और बुरा है । यहां मात्र एक ही डाक्टर रहने से मरीजों के इलाज का दर्द बढ़ता ही जा रहा है ।
केमिकल खत्म होने से आ रही है जांच में दिक्कत: इस बाबत मंडलीय अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिक्षक ने बताया कि पैथलॉजी में जांच करने के विभिन्न प्रकार के केमिकल खत्म होने से यह दिक्कतें है । केमिकल सप्लाई करने वाली कंपनी को आडर दिया गया है