धनाभाव : पियककड़ों ने बनाई मयखानों से दूरी


(डॉ. लोकनाथ पाण्डेय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के बीच एक अच्छी खबर है कि तमाम पियककड़ों ने पैसे के अभाव के चलते मयखाना जाना ही छोड़ दिया है। काम धंधे के अभाव में गरीब तबके के पास अब भी पैसे का सर्वथा अभाव बना हुआ है। आम आदमी को घर की जरूरतों बच्चे को दूध व आटा,दाल, चावल जुटाने की मशक्कत में ही पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में शराब की बात करना मतलब बर्बादी को बुलावा देना ही है। शायद यही बात लोगों को मयखानों से दूर भी किये हुए है। बता दें कि देशी शराब की दुकानों पर अक्सर मजदूर, ठेला खोमचा वाले व सफाई कर्मियों संग बेहद गरीब आदमी ही दिखाई देता था। आजादी के बाद शायद पहली बार कोरोना काल ने उसे शराब से इतर असली जिंदगी का मतलब भी समझा दिया है। इससे इन परिवारों की महिलाओं और बच्चों में काफी खुशी देखी जा रही है। शराब के कारण होने वाली बर्बादी का मतलब भी अब लोगों को थोड़ा-थोड़ा समझ आने लगा है। मध्यम आय व गरीब तबका शराब से अब किनारा करने में ही अपनी व परिवार की भलाई भी समझ रहा।
लॉक डाउन से बेतहाशा घटी बिक्री- लॉकडाउन व बंदिशों के बीच जनपद में खुली शराब बीयर की दुकानों पर बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। बीते साल की तुलना में इस बार अगस्त 2020 तक राजस्व में लगभग 23 से 25 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई है। देशी विदेशी शराब की कई सरकारी दुकानों व बीयर बार संचालक अब अपना लाइसेंस फीस भी गंवाने के कगार पर है। कोरोना काल में लंबे समय तक दुकानें बंद रही । जब खुली तो चन्द दिन भीड़ भी हुई अब तमाम मयखानों में पहले की तरह रौनक नहीं दिख रही।
आंकड़े बता रहे घाटे का अनुमान- आबकारी विभाग को राजस्व की क्षति की बावत आबकारी विभाग के अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन मिले आंकड़ों पर यदि गौर करें तो मई 2019 में शराब की कुल 69,00,884 बोतलें बिकी थी। इस बार मई में इनकी संख्या घटकर 3,57,752 हो गई यानी लगभग बिक्री में 22 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। 48 फीसदी कम शराब सिर्फ मई के महीने में बिकी, देशी शराब की अगर बात की जाए तो इसकी बिक्री में भी 40 प्रतिशत की कमी मई के महीने में ही दर्ज हुई। लगभग 7 लाख 57हजार 528 लीटर देशी शराब मई 2020 में बिकी, जबकि वर्ष 2019 के मई महीने में 11लाख 21हजार 787 लीटर देशी शराब बिकी थी। इस दौरान सिर्फ देशी शराब के मद में सिर्फ एक माह में लगभग 46 लाख का नुकसान उठाना पड़ा। बीयर की सेल भी काफी प्रभावित हुई है। 2019 मई के महीने में जहां 19,94,432 बोतलों की बिक्री हुई थी, वहीं इसबार मई जून से अबतक बीयर की बिक्री में भी भारी गिरावट दर्ज हुई है। यही हाल अंग्रेजी शराब का बना हुआ है।
विक्रेताओं को अब लगन की आस

“कहते हैं पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए” इसबार पूरे गर्मी की लगन में कोरोना के कारण शादी विवाह ठप रहा। आयोजनों संग आम गतिविधियां भी खूब प्रभावित रही। अब जाड़े की लगन पर शराब कारोबारियों की नजर टिकी हुई है। पाश्चात्य देशों की तर्ज पर आजकल भारत मे खुशी के मौकों पर अक्सर पीने पिलाने का दौर भी हो जाता है। ऐसे में अब जाड़े की लगन पर व्यवसायियों की नजर है जो उनका बेड़ा पार कर सकती है।
बीते वर्ष की तुलना में राजस्व को भारी घाटा

कोविड-19 की वजह से देशभर में हुए लॉकडाउन के बाद आबकारी विभाग को राजस्व की भारी हानि हुई है। बीते साल की तुलना में इस बार अगस्त तक राजस्व में लगभग 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। जो अब 25 फीसदी तक पहुँचने का अनुमान है। मार्च में हुए लॉकडाउन और अप्रैल में पूरी तरह से बंदी की वजह से आबकारी विभाग अपने टारगेट से काफी पीछे है। व्यस्ततम बाजार व शहरों की दुकानों की सेहत सुधर रही। ग्रामीण इलाकों में पैसे का अभाव दुकानों की रौनक में बाधक बन रहा। हालांकि अब हालात सुधर रहे हैं, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस बार शराब की बिक्री से आने वाले राजस्व में भारी कमी दर्ज हुई है।