सांसद के भाई पवन तैयार कर रहे सियासी जमीन


गाजीपुर(काशीवार्ता)। कभी अंसारी बंधुओं के करीबी रहे घोसी सांसद अतुल राय के छोटे भाई पवन राय भूमिहार बाहुल्य मुहम्मदाबाद विधानसभा में अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं। उनकी इस सक्रियता से सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि दिग्गजों के माथे पर चिंता की लकीरें देखने को मिल रही हैं। कोरोना काल में घोसी सांसद की तरफ से भेजी गई मेडिकल वैन लोगों में चर्चा का विषय बनी रही। अगर बसपा ने पवन राय को मैदान में उतारा तो यहां का चुनाव 2022 में काफी रोचक होगा। बतादें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर जीते अंसारी बंधुओं के अतुल राय कभी अंसारी बंधुओं के करीबी हुआ करते थे। मगर लोकसभा चुनाव में अंसारी बंधुओं से अतुल की तल्खी बढ़ गई। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो अंसारी बंधु चाहते थे कि मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी घोसी से लोकसभा चुनाव लड़े। मौजूदा समय में बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ ही उनके भाई आनंद से अतुल के मधुर रिश्ते जगजाहिर हैं। आज अतुल बसपा में मजबूत माने जाते हैं। इधर अंसारी बंधुओं से तल्खी इस कदर बढ़ गई कि अतुल को मुख्तार से जान का खतरा उत्पन्न हो गया। पिछले दिनों सांसद की पत्नी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया था। जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई थी कि उनके पति को मुख्तार से खतरा है। लिहाजा उनकी सुरक्षा जेल में और सख्त की जाए। इस समय प्रयागराज की जेल में अतुल राय बंद हैं। मगर जेल से ही वह अपनी लोकसभा को संचालित कर रहे हैं। इधर कोरोना काल में उनकी सक्रियता मुहम्मदाबाद विधानसभा में सर्वाधिक रही। उनके छोटे भाई एवं वीरपुर के पूर्व ग्राम प्रधान पवन कुमार राय पूरे विधानसभा में लोगों से मिलना जुलना तेज कर दिए हैं। सियासी पंडित मानते हैं कि अगर बसपा उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया तो सीधे तौर पर भाजपा को चुनाव में और संघर्ष करना पड़ सकता है। क्योंकि 70 हजार भूमिहार एवं इसी के आसपास दलित मतदाता जहां जाएगा, वह मुहम्मदाबाद का अगला सिकंदर बन सकता है। वैसे अंसारी बंधु विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी धमका कर सकते हैं।
2017 में यदुवंशियों ने खिलाया था कमल
मुहम्मदाबाद विधानसभा के 2017 के सियासी पन्नों को पलटे हैं तो भाजपा की अलका राय एवं बसपा से सिबगतुल्लाह अंसारी आमन सामने थे। सपा ने कांग्रेस के जनक कुशवाहा को अपना समर्थन दिया था। इस लिहाज से वहां पर अधिकांश यदुवंशियों ने कमल खिलाकर अलका राय को विजयी बनाया था। भाजपा की अलका राय को एक लाख 22156 वोट, बसपा के सिबगतुल्लाह को 89429 वोट, कांग्रेस के जनक कुशवाहा को 9910 वोट मिले थे।