(राजेश राय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। बनारस के नए महापौर और पार्षदों ने शपथ लेकर पदभार जरूर ग्रहण कर लिया है लेकिन इन्हे हनीमून पीरियड शायद ही मिले। राजनीति में हनीमून पीरियड का संदर्भ स्वागत समारोह से होता है। आमतौर पर निर्वाचित होने पर जनप्रतिनिधियों का जगह जगह स्वागत होता है। स्वागत करने वालों में पार्टी से लेकर अपनी बिरादरी और मुहल्ले के लोग शामिल होते हैं। लेकिन इस बार शायद ऐसा न हो। इसकी वजह है दरवाजे पर खड़ा लोकसभा चुनाव। यह तो विदित है कि इस बार महापौर के साथ-साथ 63 पार्षद बीजेपी के जीते हैं। इसके बाद निर्दलियों ,सपा और कांग्रेस का नंबर है। जाहिर सी बात है जब इतने प्रचंड बहुमत से जनता ने बीजेपी के प्रत्याशियों को जिताया है तो इनपर अपेक्षाओं का पहाड़ भी है। इन अपेक्षाओं की पहली परीक्षा लोकसभा चुनाव में होगी। प्रधानमंत्री मोदी पिछले दो लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रत्याशी रहे हैं। उम्मीद है 2024 में भी वे यहीं से चुनाव लडेÞंगे। उनकी विजय में भी कोई संदेह नहीं है। संदेह है तो केवल जीत के अंतर को लेकर। पिछले दो लोकसभा चुनावों में उन्होंने भारी अंतर से चुनाव जीता था। इस बार परिस्थितियां थोड़ी भिन्न है।देश में इस समय विपक्षी एकता की मुहीम चल रही है। जगह जगह बैठकें हो रही है। अनेक मुद्द्दों पर ज्यादातर विपक्ष एक दिखाई दे रहा है। इनमें दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र द्वारा लाया गया अध्यादेश और सांसद का प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन का मुद्दा भी शामिल है। इसके अलावा दिल्ली नगर निगम चुनाव हिमाचल और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव परिणामों ने भी विपक्ष में नई ऊर्जा का संचार किया है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 80 लोकसभा सीटें हैं। राजनीतिक में कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर गुजरता है। बीजेपी ने इस बार सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र खास महत्व रखता है। देखा जाय तो केंद्र और प्रदेश की डबल इंजन की सरकार के प्रयासों के बावजूद शहर में तमाम मौलिक समस्याएं अभी भी जस की तस खड़ी हैं। इनमे सबसे प्रमुख है बदहाल यातायात, अतिक्रमण, खटारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम, शहर का अनियोजित विकास इत्यादि। नए मेयर और पार्षदों को आनेवाले कुछ महीनो में अथक मेहनत करके दिखाना होगा कि ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा यूं ही नहीं दिया गया था बल्कि हकीकत में तीसरा इंजन काम कर रहा है। यह कि शहर की गाड़ी खींचने की क्षमता तीसरे इंजन में है। यह तभी हो सकता है जब स्वागत समारोहों से दूरी बनाकर मेयर और पार्षद जनसमस्यायों को दूर करने में अभी से जुट जाएं।