‘जुल्म की खैर नहीं यह जेनब ने कहा मैं तो कैद हूं आजाद है लहजा मेरा’


भदोही। मोहल्ला गोरियाना स्थित मैदान में अंजुमन गुलामाने मुस्तफा की जानिब से जश्ने नवास-ए-रसूल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस का आगाज कुरआने हकिम की तिलावत से हाफिज व कारी आबिद हुसैन ने की। उसके बाद मद्दाहे खैरुल अनाम सलल्लाहु अलैहे वसल्लम शायर सदफ नक्शबंदी ने मनकबत के अशआर पेश करते हुए पढ़ा की। कांप उठी जमीं जलजला आ गया। शेर हैदर का जब कर्बला आ गया पढ़ा तो लोग मचल उठे। इसी तरह शायर आजाद खां ने पढ़ा कि कर्बला में एक ही सज्दा किया शब्बीर ने। दूसरा सज्दा कयामत में अदा हो जाएगा। पढ़ा तो लोग इश्क व मोहब्बत में डूब गए। शायर फैयाज भदोहवी ने पढ़ा, रुतबा यजीद तूने न जाना हुसैन का। दुनिया हुसैन की है जमाना हुसैन का। शायर जावेद आसिम ने पढ़ा। प्यार आका से है रहमत की घटा छाई है। पूछते क्या हो गुनहगार की बर आई है। शायर हाजी आजाद ने पढ़ा। उसने नोके नेजे पे चढ़ाया मुझको। मेरे कातिल को भी मालूम था रुतबा मेरा। जुल्म की खैर नहीं यह जेनब ने कहा मैं तो कैद हूं आजाद है लहजा मेरा । इसी तरह शायर अशफाक कामिल, नेहाल हबीबी आदि शायरों ने नातो मनकबत पेश किया। मेम्बरे नुर पे जलवा अफरोज हजरत अल्लामा व मौलाना नादिर हुसैन ने इस्लाही व अहले बैत रजि. से निस्बत पर रौशनी डाली। कांफ्रेंस की नेजामत हाफिज आबिद हुसैन व सदरे जल्सा हजरत अल्लामा व मौलाना फैसल अशर्फी ने की। जेरे हिमायत हाफिज अशफाक रब्बानी ने किया। कमेटी के हाफिज आबिद हुसैन, फहीम अख्तर सिद्दीकी, जुनेद खां, वसीम अख्तर सिद्दीकी, नदीम अख्तर सिद्दीकी, सैफ खां, रिजवान खां चंदू, भोलू खां, जुबैर खां आदि लोगो ने आए हुए सामेइन का खैर मकदम व शुक्रिया अदा किया।