पितृपक्ष कल से, त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए उमड़ी भीड़


वाराणसी(काशीवार्ता)। भगवान शंकर की नगरी काशी में मृत्यु होने पर जहां जीव की मुक्ति होती ही है वहीं काशी सहित बाहर अकाल मृत्यु होने पर काशी में पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध कर उनको मुक्ति दी जाती है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि अकाल मृत्यु प्राप्त लोगों की मुक्ति काशी के पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से ही होती है। पितृपक्ष पर त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए दूर-दूर से आते है लोग- पितृपक्ष पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए पिशाच मोचन कुंड पर पूर्वांचल सहित देश के कोने कोने से लोग आते हैं। पितृपक्ष के पूरे 15 दिन त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए लोगों की भारी भीड़ कुंड पर जुटी रहती है। कुंड पर उपस्थित ब्राह्मणों द्वारा विधि विधान से त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता है। एक त्रिपिंडी श्राद्ध कराने में लगभग चार से पांच घंटा लगता है। त्रिपिंडी श्राद्ध करने से अकाल मृत्यु प्राप्त आत्माओं की प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।
पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए भादो मास की पूर्णिमा पर ही लोगों की भीड़ उमड़ी हुयी है। लोग पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए जुटे थे। कुंड पर नहीं है कोई व्यवस्था- पिशाच मोचन कुंड पर नगर निगम या जिला प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। यहां तक लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी भी नहीं मिल रहा है। स्थानीय नागरिकों व दुकानदारों द्वारा कुंड के आसपास की साफ-सफाई करायी गयी है।
घाटों पर हुआ तर्पण
ऐसे तो पितृपक्ष मंगलवार से शुरु हो रहा है लेकिन जिनके पितर पूर्णिमा तिथि को मृत्यु प्राप्त है, उनका तर्पण करने के लिए परिजन घाटों पर आये हुए थे। उनके द्वारा विधि विधान से वर्णन किया गया।