निर्मल स्वभाव से होते हैं सारे काम


वाराणसी(काशीवार्ता)। जैन धर्म का पर्युषण पर्व क्या है- संसार के सभी जीवो मे इन्सान सर्वश्रेष्ठ जीव है। उसे अपनी श्रेष्ठता बनाये रखने के लिए पर्युषण पर्व तोहफा के रूप मे मिला है। दुनियाभर के जैन लोग इन दिनों भादो मास मे अपनी इन्द्रियों संयम रखते है। विशेष रूप से समस्त संसारिक क्रियाए छोड़कर त्याग, आत्मभावना, धर्म ग्रंथों का अध्ययन और सभी प्राणियो की सुख शान्ति की कामना करते है। क्षमा, मृदुता, सरलता, सत्य, संयम, तप,त्याग और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपने मन को पवित्र व निर्मल करते है जिससे तन- मन स्वस्थ रहे। इसी के अन्तर्गत पर्व के दूसरे दिन गुरुवार को प्रात: से श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली तीर्थ क्षेत्र भेलूपुर मे क्षमावाणी बिधान किया जा रहा है जिसमे काफी संख्या मे महिलाए एवं पुरुष भक्त भाग ले रहे है। प्रात: तीर्थंकर पार्श्वनाथ का प्रक्षाल एवं पूजन किया गया। नगर के अन्य मन्दिरो मे प्रात: से श्रद्धालु भक्तो द्वारा पूजन-पाठ-अभिषेक व अन्य धार्मिक आयोजन किये जा रहे है। गुरुवार को प्रात: ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर मे भक्तो द्वारा प्रक्षाल के उपरांत दैविक आपदाओ को रोकने की कामना से वृहद शान्ति धारा की गई। सायंकाल पर्व के दूसरे अध्याय-उत्तम मारदव पर व्याख्यान करते हुए -पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- जो अज्ञानी होता है वह मान मे जीता है, जो ज्ञानी होता है वह मारदव (विनय भाव) मे जीता है। इसलिए जीवन मे पीछे देखो तो अनुभव मिलेगा। आगे देखो तो ‘आशा’ मिलेगी। बाये-दाये देखो तो ‘सत्य’ मिलेगा। स्वयम के अन्दर देखो तो “परमात्मा ” और आत्म विश्वास मिलेगा। मारदव का अर्थ है मृदुता, कोमलता, विनम्रता, झुकना, नमस्कार करना ही धर्म है। जय जिनेन्द्र करने का धर्म है। मान का मर्दन करने वाला वीर माना जाता है, वही बाद मे हमारे सामने महावीर बनके आता है। सायंकाल जैन मंदिरो मे चौबीसो तीर्थंकरो की आरती, शास्त्र पूजन एवं स्तुति की ग ई। आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, रतनेश जैन, विनोद जैन चांदी वाले, सौरभ जैन आदि शामिल थे।