टोटो-आटो चालकों की मनमानी लुट रहे बाबा के श्रद्धालु


वाराणसी। सावन माह में दूर-दूर से दर्शनार्थी काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कावड़ियों का रेला भी बाबा का जलाभिषेक कर आशीर्वाद के लिए उमड़ा है। देखा जाए तो सावन के इस महीने में दर्शनार्थी व दूरदराज से आए श्रद्धालु काशी के अलग-अलग खंडों में स्थित देवी देवताओं का पूजन व मन्नत कर अपने घर वापसी करते हैं। अमीर-गरीब सभी बाबा की जयकार कर रहे हैं और हर हर महादेव की गूंज से पूरी काशी गुंजायमान है। गेरुआ वस्त्र धारण किए रिमझिम बरसात व कंधे पर कांवर लोटे में जल भरकर बाबा के भक्तों की भारी भीड़ बाबा के धाम पधार रही है। वहीं दूसरी तरफ बुरे नियत व लूटपाट की परिधि से बंधे आॅटो चालक व दुकानदार ( फूल माला) की कहानी गजब है सोचते हैं। जितना ले सको ले लो क्योंकि यह तो नवागंतुक है और इसको बाबा के धाम की कोई विशेष जानकारी नहीं है। साधारण फूल माला 150/- की कीमत में बेची जा रही है। यही नहीं मोबाइल ,वॉच छोटा सा पर्स रखने के लिए लॉकर बनाकर रू. 50 वसूले जा रहे हैं। जिला प्रशासन इस बात को भलीभांति जानता है लेकिन वसूली पर चोट करने से कोसों दूर है। बनारस में इन दिनों आॅटो चालक और ई-रिक्शा की मनमानी बदस्तूर जारी है। ना कोई परमिट, ना ही कोई मानक और ना ही चालक की पहचान। बगैर लाइसेंस सैकड़ों की संख्या में आॅटो रिक्शा सड़क पर सरपट दौड़ रहे हैं। इन पर लगाम कसना तो दूर इनकी पहचान की भी लिस्ट ट्रैफिक विभाग के पास नहीं है। कई ऐसी घटनाएं पूर्व के दिनों में घट चुकी हैं जिसका खुलासा पुलिस विभाग अभी तक नहीं कर पाया। कई ऐसे स्नैचर जो पहले चोरी और मवालीगिरी किया करते थे, आज धड़ल्ले से आॅटो रिक्शा चला रहे हैं, जिनकी मनमानी बदस्तूर जारी है। गाहे-बगाहे इनकी कहानी मीडिया की सुर्खियां भी बनती हैं लेकिन पैनी नजर रखने वाले कड़क अधिकारी सिर्फ खुलासे पर भरोसा कर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। ट्रैफिक विभाग जहां एक तरफ जाम से निजात पाने में पूरी तरीके से असफल नजर आता है वहीं दूसरी तरफ समय-समय पर धर पकड़ कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। जहां एक तरफ जिलाधिकारी अवैध अतिक्रमण व अपराध पर नकेल की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ पॉश इलाके कैंट, इंग्लिशिया लाइन, लंका, मैदागिन, बेनियाबाग, गिरजाघर क्षेत्र में पुलिस की निगरानी में अवैध स्टैंड संचालित कर धन उगाही की जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन द्वारा चाक-चौबंद व्यवस्था जरूर की गयी है लेकिन दूरदराज से आए बाबा के भक्तों का उत्पीड़न काशी वासियों के लिए शर्मनाक है।