वेंडिंग जोन बेकार मिली भगत से चल रहा अवैध कारोबार


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। कुछ साल पहले जब नगर निगम ने शहर में कई जगह वेंडिंग जोन बनाये तब आम नागरिकों को यह उम्मीद बंधी थी कि शायद अब फुटपाथ पर लगने वाले ठेले खोमचों से मुक्ति मिलेगी, लेकिन यह खुशफहमी ज्यादा दिनो तक नहीं रही। शुरू में तो नगर निगम ने फुर्ती दिखाई और ठेले खोमचे वालों को वेंडिंग जोन में भेज दिया। पर उधर निगम के कर्मचारी सुस्त हुए इधर पटरियों पर अवैध दुकानें लगाने वाले पुन: आबाद हो गए। अवैध दुकाने लगाने वालों की दिलेरी देखनी हो तो ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं, इसके लिये नगर निगम मुख्यालय से सिर्फ दो सौ मीटर दूर सिगरा मुख्य सड़क तक आना होगा। यहाँ सुबह- सुबह साजन सिनेमा से लेकर सोनिया मोड़ तकअनगिनत ठेले और पटरियों पर सजी दुकानें मिल जाएंगी। इनकी दबंगई से ट्रैफिक पुलिस वाले भी परेशान है। रास्ता जाम होने पर जब ट्रैफिक पुलिस इन्हें हटने को कहती है तो बड़े अकड़ के साथ ये जबाब देते हैं कि फोकट में नहीं नगर निगम और पुलिस वालों की मुट्ठी गर्म कर दुकानें लगाते हैं।
हो सकता है इस कथन में कुछ सच्चाई हो, लेकिन इतना तय है कि बिना किसी वरदहस्त के लबे रोड इतना लंबा चौड़ा कारोबार नहीं चल सकता। नगर निगम ने भारत सेवाश्रम से सटा कर वेंडिंग जोन बनाया है, मगर उसमें इक्का दुक्का ठेले वाले ही खड़े दिखाई देते हैं। ज्यादातर ठेले बेतरतीब ढंग से मुख्य सड़क पर ही खड़े मिलते हैं। इस संबंध में नगर निगम के अतिक्रमण प्रभारी सहायक नगर आयुक्त सुमित कुमार कहते हैं कि उन्होंने सिगरा थाने को मंडी हटाने के लिये पत्र लिखा है। सवाल है कि जब नगर निगम को खुद अतिक्रमण हटाने और कार्रवाई करने का अधिकार है तो फिर ये पुलिस कहां से आ गई। हालांकि शासन ने दुबारा अतिक्रमण के लिये पुलिस की जिम्मेदारी तय की है।
अवैध मंडी के चलते पूरे इलाके में गंदगी का साम्राज्य बना रहता है। सिगरा मेन रोड को वीआईपी रोड भी कहते हैं। इस सड़क से रोज बड़े प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारी गुजरते हैं। पता नहीं उनकी नजर इस अराजकता पर पड़ती है या नहीं, लेकिन इतना तय है कि इस अवैध मंडी से शहर की स्मार्ट छवि को जबरदस्त धक्का पहुंच रहा है।
पड़े-पड़े सड़ गई पक्के महाल के लिए मंगायी गयी ई-कूड़ा गाड़ी
बेनियाबाग जोनल कार्यालय परिसर में खड़ी ई रिक्शा पड़े-पड़े सड़ने के कगार पर पहुंच गई है। बता दें कि इन्हें लाखों रुपए खर्च कर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत गलियों में कूड़ा उठाने के लिए खरीदा गया था। मगर अब ये इस मिशन को पलीता लगाता नजर आ रहा है। फिलहाल, नगर निगम अब इन्हें नीलाम करने की प्रक्रिया में जुटा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में सफाई को लेकर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत शहर में दो समय झाड़ू लगाने, कूड़ा उठाने और घर-घर से कूड़ा लेने के लिए चार निजी संस्थाओं को लगाया है। इसी क्रम में काशी की पक्के महाल की गलियों में, जहां ट्रैक्टर नहीं जा सकता या ठेले से कूड़ा उठाना संभव नहीं हो पाता, उन जगहों के लिए ई-कूड़ा गाड़ी मंगायी गयी थी। ये ई रिक्शा 3 साल पहले खरीदा गया था, ताकि पक्के महाल की गलियों में समय से कूड़ा उठाया जा सके, लेकिन दुर्भाग्य है कि स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते इन गाड़ियों का प्रयोग ही नही हो सका। बताते हैं कि खड़े खड़े इन ई रिक्शों की सीटें भी गायब हो गई है। लाइट टूट गई हैं। दरअसल, घाटों के किनारे साफ-सफाई व्यवस्था में एक निजी कंपनी को काम दिया गया था पर अफसोस कि गाड़ियों को इस्तेमाल करना शायद नगर निगम और निजी एजेंसी दोनो भूल गये।