गर्मजोशी से मिले जो बाइडेन और पीएम मोदी, भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाने पर दिया जोर


बाली (इंडोनेशिया)। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस समय  17वें G20 शिखर सम्मेलन (G-20 Bali Summit) में भाग लेने के लिए  बाली गये हैं। भारत की उपस्थिति को चिह्नित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 14 नवंबर को इंडोनेशियाई द्वीप बाली पहुंचे। सम्मेलन से सामने आये कुछ तस्वीरों मे आप देख सकते हैं कि  अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पीएम मोदी के पास जाते है, अभिवादन करते हैं। शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले मुस्कुराते हुए दोंने देश के नेताओं के बीच मुलाकात हुई। पीएम मोदी को एक मिनट से अधिक समय तक बाइडेन से बात करते देखा जा सकता है। दोनों नेताओं ने जी 20 सत्र शुरू होने से पहले गर्मजोशी से गले लगाया। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जेड तरार ने प्रेस से बात करते हुए कहा, राष्ट्रपति बाइडेन और पीएम मोदी के बीच दोस्ती है जो स्पष्ट है। G20 कॉन्क्लेव से पहले प्रधानमंत्री को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से हाथ मिलाते हुए देखा गया और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को मुस्कान के साथ बधाई दी। पीएम मोदी ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने ‘संक्षिप्त चर्चा’ की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा आपूर्ति पर किसी तरह के प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देने की जरूरत को मंगलवार को रेखांकित किया और स्थिरता सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए एक बार फिर कूटनीति के जरिए यूक्रेन विवाद को सुलझाने पर जोर दिया। मोदी ने वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन संकट के कारण उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों ने दुनिया में तबाही मचा दी है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला ‘‘चरमरा’’ गई है।

प्रधानमंत्री ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर रूसी तेल व गैस की खरीद के खिलाफ पश्चिमी देशों के आह्वान के बीच ऊर्जा आपूर्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने का आह्वान किया। खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा पर बुलाए सत्र में मोदी ने कहा, ‘‘ भारत की ऊर्जा-सुरक्षा वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।’’ इस सत्र में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सहित कई विश्व नेताओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है।

इंडोनेशिया के बाली में हो रहे शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘ 2023 तक हम अपनी जरूरत की आधी बिजली का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से करेंगे। समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए विकासशील देशों को समयबद्ध और किफायती वित्त व प्रौद्योगिकी की सतत आपूर्ति की जरूरत है।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने चुनौतीपूर्ण वातावरण के बीच जी20 के नेतृत्व के लिए इंडोनेशिया की तारीफ की। मोदी ने कहा, ‘‘ जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी तथा यूक्रेन संकट और उससे उत्पन्न वैश्विक चुनौतियां.. इन सभी ने मिलकर दुनिया में तबाही मचा रखी है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं चरमरा गई हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ पूरी दुनिया में आवश्यक सामान का संकट है। हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौतियां अधिक हैं। उनके लिए रोजमर्रा की जिंदगी पहले से ही एक संघर्ष थी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब ‘‘दोहरी मार’’ से निपटने के लिए आर्थिक रूप से असमर्थ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ दोहरी मार के कारण, उनके पास इसे संभालने के लिए वित्तीय क्षमताओं का अभाव है। इसलिए आज दुनिया को जी-20 से अधिक अपेक्षाएं हैं और समूह की प्रासंगिकता बढ़ गई हैं।’’ यूक्रेन संघर्ष पर उन्होंने बातचीत के माध्यम से संकट को हल करने का आह्वान दोहराया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्ध-विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का तरीका तलाशना होगा। पिछली शताब्दी में द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया में कहर बरपाया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ उसके बाद उस दौर के नेताओं ने शांति की राह पर चलने का गंभीर प्रयास किया। अब हमारी बारी है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद एक नयी विश्व व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘‘ठोस और सामूहिक संकल्प’’ समय की मांग है। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि जब अगले साल (गौतम) बुद्ध और (महात्मा) गांधी की धरती पर जी-20 की बैठक होगी, तो हम सभी एकसाथ विश्व को शांति का ठोस संदेश देंगे।’’ जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।