साल भर में ही धंस गया कोनिया पुल


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। शहर के विकास को लेकर चल रही परियोजनाओं की गुणवत्ता लगातार सवालों के घेरे में है। इस बार कोनिया का नवनिर्मित पुल सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है। इस पुल का निर्माण लगभग साल भर पहले हुआ था। लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, लेकिन घटिया निर्माण के चलते इस पुल की पोल बुधवार को उस समय खुल गई जब उससे गुजरने वालों ने पुल पर एक बड़ा गड्ढा देखा।संयोग अच्छा था कि कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ वरना जनधन की भारी क्षति हो सकती थी। देखा जाय तो केंद्र और राज्य सरकार की मंशा है कि वाराणसी के नागरिकों को बेहतर नागरिक सुविधाएं उपलब्ध हों।इसके लिए अकूत धन भेजा जा रहा है।योजना शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए पुलों और फ्लाईओवर का निर्माण कराना है।कोनिया पुल का निर्माण भी इसी उद्देश्य से किया गया था। इसके बनने से गाजीपुर जाने वाली बसें बिना शहर को जाम में ढकेले बाहर से निकल जाती हैं।इससे चौकाघाट पुल पर दबाव भी कम हुआ है।उद्देश्य अच्छा था, लेकिन भ्रष्ट अभियंताओं की करतूत ने सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया। जिस पुल को आने वाले कई दशक तक नागरिकों की सेवा करनी थी वह एक साल में ही दरक गया।निर्माण में धांधली सिर्फ कोनिया पुल तक ही सीमित नहीं है।कुछ दिनों पहले कचहरी के पास वरुणा नदी पर बने पुल के अप्रोच रोड के धंसने की खबर आई थी।पता यह चला था कि रिटेनिंग वॉल के निर्माण में गड़बड़ी की गई थी जिसके चलते बारिश में नीचे की मिट्टी बह गई। जब मीडिया के जरिए इस धांधली का मामला प्रकाश में आया तो खलबली मची। इसके बाद शासन स्तर पर जांच कराई गई तो पता चला कई अभियंताओं ने गंभीर लापरवाही बरती है। इसके बाद इन अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया। जांच अभी भी जारी है ।चौकाघाट फ्लाईओवर के संस्कृत विश्व विद्यालय वाले छोर की रिटेनिंग वॉल के निर्माण में भी गंभीर लापरवाही बरती गई थी। जिसके चलते पिछले दिनों वह दीवार भरभरा कर गिर पड़ी थी । उस दीवार का लाखों रुपए लगाकर पुनर्निर्माण कराया गया है। यही हाल फुलवरिया फोरलेन निर्माण का है। एक तो इस परियोजना में अनावश्यक रूप से देर की जा रही है, दूसरे निर्माण भी संतोषजनक नहीं है। पिछले दिनों प्रशासनिक स्तर पर इस परियोजना की जांच कराई गई तो पता चला यहां भी अभियंताओं ने गंभीर गड़बड़ी की है। इसके बाद शासन की गाज उप परियोजना प्रबंधक पर गिरी। ऐसा लगता है अभियंताओं और अधिकारियों में शासन का भय समाप्त हो गया है।