105 साल बाद मोदी दूर कर रहे बापू की नाराजगी


वाराणसी। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही 105 साल पहले महात्मा गांधी द्वारा जताई गई नाराजगी अब दूर होने जा रही है। महात्मा गांधी को 4 फरवरी 1916 को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करना था। उससे एक दिन पहले वह काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करने गए थे। इससे पहले 1903 में भी वह काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए आए थे। 13 साल बाद भी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र की तंग गलियों में गंदगी देख वह बुरी तरह नाराज हुए थे और उनकी यह नाराजगी अगले दिन बीएचयू में सार्वजनिक हुई थी। हालांकि, अब 54 हजार वर्गफीट क्षेत्रफल में बनाए गए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की साफ-सफाई की अत्याधुनिक व्यवस्था की गई है। इस वजह से धाम क्षेत्र और उसके आसपास दूर-दूर तक गंदगी का नामोनिशान नहीं होगा।
कोई अजनबी आए तो हिंदुओं के बारे में क्या सोचेगा?
बीएचयू में अपने संबोधन में महात्मा गांधी ने कहा था कि इस महान मंदिर में कोई अजनबी आए, तो हिंदुओं के बारे में उसकी क्या सोच होगी और तब जो वह हमारी निंदा करेगा, क्या वह जायज नहीं होगी? क्या इस मंदिर की हालत हमारे चरित्र को प्रतिबिंबित नहीं करता? एक हिंदू होने के नाते मैं जो महसूस करता हूं, वही कह रहा हूं। अगर हमारे मंदिरों की हालत आदर्श नहीं है, तो फिर अपने स्वशासन के मॉडल को हम कैसे गलतियों से बचा पाएंगे? जब अपनी खुशी से या बाध्य होकर अंग्रेज इस देश से चले जाएंगे, तो इसकी क्या गारंटी है कि हमारे मंदिर एकाएक पवित्रता, स्वच्छता और शांति के प्रतिरूप बन जाएंगे?
शिलान्यास के दिन पीएम मोदी ने किया था याद
8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परियोजना का शिलान्यास किया था। उस दिन प्रधानमंत्री ने विश्वनाथ मंदिर में कहा था कि अभी तक बाबा विश्वनाथ मकानों और दीवारों में बंद और जकड़े हुए थे। महात्मा गांधी भी जब काशी आए थे, तो उनके मन में यह पीड़ा थी कि भोले बाबा का स्थान ऐसा क्यों है। बीएचयू के एक कार्यक्रम में बापू अपने मन की व्यथा बताने से खुद को रोक नहीं पाए थे। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की वजह से अब पूरी दुनिया में काशी की एक अलग पहचान होगी।