बुधवार की रात्रि में रक्षा सूत्र बांधना फलदाई नहीं


वाराणसी(काशीवार्ता)। इस वर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 30 अगस्त को प्रात: 10.12 बजे से 31 अगस्त प्रात: 7.45 तक रहेगी। अत: 31 को उदया तिथि में पूर्णिमा लाभप्रद है। आचार्य वेद प्रकाश मिश्र कलाधर ने बताया कि काशी की महान विभूति महामहोपाध्याय विद्याधर शर्मा गौड़ महाभाग ने संवत 1988 में रक्षाबन्धन का निर्णय दिया था। उस समय पूर्व दिन चतुर्दशी 0147 पल के बाद पूर्णिमा का आगमन हो गया था एवं सूर्यास्त के कुछ काल बाद ही भद्रा का समापन हुआ था। पुन: पर दिन मात्र 3/58 घटी पूर्णिमा थी। तथापि उन्होंने रात्रि में रक्षाबन्धन को प्रशस्त नहीं माना और दूसरे दिन की उदया पूर्णिमा में रक्षाबन्धन का निर्णय दिया। इस बार तो पर दिन 5/28 घटी की पूर्णिमा मिल रही है। द्रष्टव्य-“रक्षाबन्धनस्य तु पूर्वदिने भद्रायोगात उपाकर्मरक्षाबन्धनयो: अङ्गाङ्गिभावस्य गृह्यनिबन्धकाराद्यनभिमतत्वात #परेद्यु: एवं अनुष्ठानम इति निर्णय:” पर दिन यानी मात्र 3/58 घटी की उदया पूर्णिमा तिथि में रक्षाबन्धन का निर्णय दिया गया था। एतदनुसार इस वर्ष भी गुरुवार 31 अगस्त को प्रात: 7.45 तक उदया में पूर्णिमा तिथि का मान है अत: इस ज्योतिष विद्या के
प्रमाण के अनुसार रक्षाबन्धन पर्व 31 अगस्त को ही मनाना श्रेयस्कर और लाभदायक है।
रक्षाबंधन के लिए सजा राखियों का बाजार
वाराणसी। भाई-बहनों का त्योहार रक्षा बंधन नजदीक है। बाजार में तरह-तरह की राखियां सज चुकी हैं। बहनें भाइयों को राखी बांधने के लिए उसकी खरीदारी भी कर रही हैं। हर बार की तरह इस बार भी बाजार में कई तरह की मन लुभाने वाली डिजाइनदार राखियां सज गई हैं। भाइयों के लिए जहां रेशम से बने डिजाइन वाली राखियां मौजूद हैं। वहीं बच्चों को खिलौनों और लाइट वाली राखियों का रेंज बाजार में खूब दिख रहा है। वहीं इस बार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के राखी के साथ साथ चन्द्रयान-3 की भी बिक्री हो रही है। इस बार भी रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का साया है। जिसके कारण रक्षाबंधन की तारीख को लेकर लोगों में थोड़ा कन्फ्यूजन है।
गुरुवार को रक्षासूत्र बांधने से भाइयों की होती है आयुष्य वृद्धि