30 लाख परिवार 30 को करेंगे प्रकृति वंदन


(डा. लोकनाथ पाण्डेय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पर्यावरण संरक्षण विभाग और हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन की ओर से 30 अगस्त को राष्ट्रीय स्तर पर प्रकृति वंदन कार्यक्रम होने जा रहा है। इसमें देशभर के लगभग 30 लाख परिवार शामिल होंगे। सभी अपने घरों में रविवार की सुबह 10 से 11 बजे तक वृक्ष पूजन करेंगे पर्यावरण बचाने के लिए विश्व को बड़ा संदेश देंगे। जिन घरों में बड़े पेड़ नहीं हैं, उन परिवारों से गमलों में लगे पौधों के पूजन का आग्रह आरएसएस द्वारा किया गया है। कार्यक्रम में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत का 10 मिनट का उद्बोधन भी होगा। इस कार्यक्रम को संघ के फेसबुक पेज पर समूचे विश्व में लाइव भी किया जाएगा। इसी बहाने भारत की प्राचीन परंपरा, पर्यावरण संरक्षण उन लोगों तक पहुंचाने की कवायद होगी। जो लोग भारतीय पद्धति को समझना चाहते हैं उनके लिये यह कार्यक्रम काफी सहायक भी होगा। भारतीय प्राचीन संस्कृति एवं वेद पुराण और संत परंपरा में पेड़ व प्रकृति को भगवान का रूप माना गया है। इसी प्राचीन परंपरा को जीवंत रखने की यहां बड़ी कोशिश मूर्त रूप लेगी।
ओंकार ध्वनि संग पूजेंगे पौधे, बन्धेगी मौली -पर्यावरण, वन एवं जीव सृष्टि संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित हो रहे इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की काशी प्रांत के विभिन्न जिलों में तैयारियां अंतिम दौर में हैं। कार्यक्रम संरचना के अनुसार 30 अगस्त को सुबह 10 बजे पूजन सामग्री से सजे थाल के साथ सभी परिवार अपने-अपने घरों पर वृक्ष या गमले के सामने पूजन के लिए जुटेंगे। तीन बार ओंकार ध्वनि के बाद वृक्ष का रोली-अक्षत से पूजन होगा। वृक्ष या गमले में लगे पौधे को रक्षासूत्र के रूप में मौली बांधी जाएगी। इसके माध्यम से पूजक परिवार समस्त सृष्टि के पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेंगे। अर्घ्य व आरती के बाद वृक्ष की पांच बार परिक्रमा के साथ पूजन पूर्ण होगा।
सहभागी को मिलेगा प्रमाण पत्र-संघ के पर्यावरण संरक्षण विभाग के काशी प्रांत के संयोजक कृष्णमोहन ने बताया कि कार्यक्रम में पर्यावरण प्रेमी संस्थाओं की भी सक्रिय सहभागिता होगी। ‘प्रकृति वंदन ‘के बाद हर एक सहभागी को हरित-घर का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। कृष्णमोहन के अनुसार, संघ का स्पष्ट मानना है कि प्रकृति वंदन पंच महाभूतों-पृथ्वी, जल, आकाश, वायु और अग्नि के प्रति मानव समाज की कृतज्ञता ज्ञापन का ही अवसर नहीं है बल्कि इससे प्रकृति के प्रति दायित्व बोध का जागरण भी होगा। काशी प्रांत के सभी जिलों में कार्यकर्ता इस कार्यक्रम को लेकर जोर शोर से लग गए हैं।