नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण कानून पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजा लेने से इंकार करने वाले जमीनों के मालिक अधिग्रहण रद्द करने का दबाव नहीं बना सकते। ये फैसला जस्टिस अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सुनाया। बता दें कि ये फैसला इससे पहले अलग-अलग सरकारों द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण पर प्रभाव डालेगा। भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के पुराने कानून में किसी भी सरकारी उद्देश्य के लिए अर्जेंसी क्लॉज का इस्तेमाल कर सरकर भूमि अधिग्रहित कर लेती थी। नए कानून में इसे सीमित कर दिया गया है। सरकार 2013 के नए कानून में केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा या संसद द्वारा मान्य अन्य किसी आपात स्थिति में ही अर्जेंसी क्लॉज के माध्यम से जमीन ले सकती है। इन श्रेणियों के तहत ली जाने वाली जमीन के लिए लोगों की स्वीकृति और एसआईए जरूरी नहीं है। अगर पांचवी या छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों में इस तरह का अधिग्रहण होता है तो ग्रामसभा अथवा स्वायत्त परिषद की स्वीकृति जरूरी है। नया कानून कई फसलों वाली सिंचित जमीन का अधिग्रहण भी रोकता है। विशेष परिस्थितियों में जमीन लेने पर सरकार को उतनी ही जमीन विकसित करके देनी होगी।