नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोविड संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों तथा अन्य इकाइयों और कोविड के इलाज के लिए आम लोगों को सस्ता ऋण मुहैया कराने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है, जो रेपो दर पर उपलब्ध होगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बैंक टीका बनाने वाली कंपनियों, दवा बनाने वाली कंपनियों, कोविड के इलाज के लिए जरूरी उपकरणों, ऑक्सीजन और वेंटीलेटर बनाने वाली कंपनियों, इनके आयातकों, अस्पतालों, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं को रेपो दर पर ऋण दे सकेंगे। इनसे जुड़ी लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं के लिए भी यह ऋण उपलब्ध होगा। इसके अलावा आम लोगों को कोविड के इलाज के लिए भी इसी श्रेणी में ऋण मिलेगा। यह ऋण ‘प्राथमिकता’ श्रेणी में दिया जाएगा और ऋण चुकता होने या इसकी अवधि समाप्त होने तक इसी श्रेणी में बना रहेगा। बैंक 31 मार्च 2022 तक यह ऋण दे सकेंगे। इसकी अधिकतम अवधि 3 साल होगी।
केवाईसी अनुपालना आसान बनाने के लिए कई उपायों की घोषणा
रिजर्व बैंक ने अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) अनुपालना को आसान बनाने के लिए कई नए उपायों की घोषणा की और कहा कि बैंक किसी भी खाते से लेनदेन पर केवाईसी अपडेट नहीं होने के कारण 31 दिसंबर तक रोक नहीं लगा सकेंगे। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अब प्रॉपराइटरशिप फर्म, ऑथराइज्ड सिग्नेटरी और वैधानिक इकाइयों के लाभार्थी मालिक भी वीडियो केवाईसी सुविधा के पात्र होंगे। साथ ही केवाईसी के पीरियॉडिक अपडेशन के लिए भी वीडियो केवाईसी सुविधा की अनुमति दी गई है। इसके अलावा बैंक इस साल 31 दिसंबर तक सिर्फ केवाईसी अपडेट नहीं होने के कारण किसी भी खाते से लेनदेन पर रोक नहीं लगा सकेंगे। दास ने ग्राहकों से अपील की कि वे इस दौरान अपना केवाईसी अपडेट करा लें। साथ ही केवाईसी अपडेट करने के लिए सभी प्रकार के डिजिटल चैनलों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आधार कार्ड के आधार पर खोले गए ऐसे बैंक खाते जिनमें ग्राहक और बैंक कर्मचारी आमने-सामने नहीं थे, उन्हें अब तक सीमित केवाईसी खातों की श्रेणी में रखा गया था। अब ऐसे सभी खाते पूर्ण केवाईसी अनुपालित श्रेणी में आएंगे। केवाईसी के लिए इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भी मान्य होंगे। डिजिलॉकर से जारी पहचान के दस्तावेजों को भी वैध पहचान पत्र माना जाएगा।
कोरोना के दूसरी लहर से जुड़ी स्थितियों पर आरबीआई की नजर
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर पर केंद्रीय बैंक की नजर है लेकिन इस लहर से अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावित हुई है। इससे जुड़ी स्थितियों पर आरबीआई की नजर है। दूसरी लहर के खिलाफ बड़े कदम की जरुरत है। उन्होंने कहा कि आरबीआई पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। कोरोना की पहली लहर के बाद अर्थव्यवस्था में रिकवरी दिखनी शुरु हुई थी लेकिन दूसरी लहर ने एक बार फिर संकट पैदा कर दिया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि निचले स्तर से मजबूत आर्थिक सुधार की स्थित अब पटल गई है और ताजा संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार टीकाकरण में तेजी ला रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत है। भारत की बात करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था भी दबाव से उबरती दिख रही है। आगे अच्छे मॉनसून से ग्रामीण मांग में तेजी की संभावना है। विनिर्माण इकाइयों में भी धीमापन थमता नजर आ रहा है। ट्रैक्टर सेगमेंट में तेजी बरकरार दिख रही है हालांकि अप्रैल में ऑटो रजिस्ट्रेशन में कमी दिखी है।
दास ने कहा कि कोविड-19 लहर के खिलाफ दूसरी व्यापक कदम उठाने की जरुरत है। भारत ने कोविड के खिलाफ अपनी लड़ाई काफी आक्रमक रुप से शुरु की है। आरबीआई भी स्थिति पर अपनी नजर बनाए हुए है और अपनी सीमा में आनेवाले सभी अधिकारों के साथ इसके साथ लड़ाई लडेगी। उन्होंने कहा कि आरबीआई के 250 से ज्यादा अधिकारियों के लिए जो अपने घर से दूर रहकर काम कर रहे है क्वारेंटाइन फेसिलिटी चालू रहेगी। उन्होंने कहा कि मैन्यफैक्चरिंग गतिविधियों में अभी तक कोई बड़ी बाधा नहीं आई है और उपभोग मांग में भी मजबूती कायम है। अप्रैल की मौद्रिक नीति में मंहगाई के लिए जताए गए अनुमान में कोई बहुत बड़ा उलटफेर की कोई बड़ी संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि 35000 करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूति की खरीद का दूसरा चरण 20 मई को शुरू किया जाएगा। इमरजेंसी हेल्थ सेवा के लिए 50,000 करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे। इसके अलावा प्राथमिकता वाले सेक्टरों के जल्द ही लोन और इंसेंटिव का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा बैंक, कोविड बैंक लोन भी देंगे।
आरबीआई गर्वनर ने कहा कि एसएफबीएस के लिए 10000 करोड़ का टीएलटीआरओ लाया जाएगा। इनके लिए 10 लाख प्रति ग्राहक की सीमा होगी। इनको 31 मार्च 2022 तक टर्म सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने राज्य सरकारों को ओवरड्राफ्ट सुविधा लेने के लिए ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी को भी 30 सितंबर तक के लिए बढ़ाया है। व्यक्तिगत और छोटे कर्जदारों के लिए ऋण पुनर्गठन की दूसरी विंडो खोली गई है। इसके तहत जिन्होंने पहले इसकी सुविधा नहीं ली थी और उनका ऋण 25 करोड़ रुपए तक का है वह इस बार यह सुविधा ले सकते हैं।