वाराणसी के बीएचयू स्थित पंडित राजन मिश्र अस्थायी अस्पताल (डीआरडीओ) में 10 मई से मरीजों की भर्ती शुरू हुई है। अस्पताल में अब तक छह दिन यानी 15 मई तक 110 मरीजों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इनमें 25 से अधिक बनारस के हैं, जबकि बाकी गाजीपुर, सोनभद्र, चंदौली से हैं।
यहां मरीजों के परिजनों को अव्यवस्था की मार भी झेलनी पड़ रही है। यहां लोगों को मौत की समय से सूचना नहीं मिल पा रही है। मौत के बाद शव के लिए भी 30 से 35 घंटे समय लग रहा है। इस वजह से परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की स्थिति तब है जब एक ही कैंपस में अस्पताल होने के साथ ही यहां डेथ सर्टिफिकेट भी जारी किया जा रहा है।
बीएचयू एंफीथिएटर मैदान स्थित 750 बेड के अस्पताल में फिलहाल 250 बेड पर आईसीयू की भर्ती की सुविधा शुरू की गई है। 10 मई से चल रहे इस अस्पताल में अब तक 300 लोगों की भर्ती हो चुकी है। इसमें 110 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालत यह है कि मौत के बाद मरीजों के परिजनों को डेड बॉडी लेने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। नियमानुसार मौत की सूचना मिलने के बाद डेथ सर्टिफिकेट मिलता है, तब ही परिजन डेडबॉडी लेकर यहां से बाहर जाते हैं।
हेल्प डेस्क पर मिलती है सूचना, तब जारी होता है डेथ सर्टिफिकेट
बीएचयू अस्थायी अस्पताल के प्रवेश द्वार पर बने हेल्प डेस्क पर जहां मरीजों को भर्ती करने का ब्यौरा रजिस्टर पर दर्ज किया जा रहा है, वहीं एक अन्य रजिस्टर में मौत की सूचना भी दर्ज हो रही है। नियमानुसार किसी मरीज की मौत के बाद आईसीयू से डीआरडीओ की ओर से अधिकृत मौत की सूचना आती है।
उसके बाद यहां बैठी स्वास्थ्य विभाग की टीम की ओर से डेथ सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है। हालत यह है कि मरीज के परिजनों को हेल्प डेस्क से लेकर आईसीयू और इसी कैंपस में बने मोर्चरी हाउस तक चक्कर लगाना पड़ रहा है।
मरीजों का हाल जानने के लिए परिजनों की भीड़
डीआरडीओ अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए यहां विजिटर लाउंज भी बना है। इसी के ठीक बगल में एक हेल्प डेस्क भी बनाया गया है। आईसीयू में भर्ती मरीजों के परिजन शनिवार को हेल्प डेस्क पर अपने मरीजों का हाल जानने के लिए परेशान रहे। यहां मौजूद कर्मचारी रोजाना मरीजों का फीडबैक देते हैं। परिजन मरीजों की सेहत के बारे में जानकारी लेने में जुटे रहे।
सीएमओ डाक्टर वीबी सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से डीआरडीओ के लिए एडिशनल सीएमओ डॉक्टर एके मौर्या को नोडल अधिकारी बनाया गया है। डीआरडीओ के अधिकारियों के साथ समन्वय सहित अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी उन्हें दी गई है
नोडल अधिकारी स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर एके मौर्या ने कहा कि मरीजों के मौत के बाद डीआरडीओ के अधिकारियों की ओर से मौत की जैसे ही लिखित सूचना हेल्प डेस्क पर आती है, तुरंत डेथ सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। यहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम लगी है।
ट्वीट के बाद मिला डेड बॉडी
केस एक- वाराणसी के बभनियाव निवासी स्वयंवर सिंह (70) को परिजनों ने 11 मई को डीआरडीओ के आईसीयू में भर्ती कराया। इलाज के दौरान 12 मई को सुबह 9.20 बजे उनकी मौत हो गई। साउथ कोरिया में एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मरीज के बेटे डॉक्टर जितेंद्र ने बताया कि अस्पताल से डेड बॉडी उन्हें 13 मई को शाम 5.10 बजे यानी 32 घंटे बाद मिली। बताया कि पीएमओ, डीएम समेत अन्य लोगों को ट्वीट किया, तब जाकर पिताजी की बॉडी मिली और डेथ सर्टिफिकेट जारी हुआ।
केस दोृ- जौनपुर के अतरहा निवासी मनभावती तिवारी (53) डीआरडीओ के अस्पताल में 11 मई को दोपहर में 2.35 बजे भर्ती हुई। इलाज के दौरान 12 मई को रात 11:30 बजे मौत हो गई। मनभावती की बहू ममता ने बताया कि मौत की सूचना भी 14 मई को 11 बजे यानी 35 घंटे बाद मिली। बहुत प्रयास के बाद हेल्पडेस्क से डेथ सर्टिफिकेट मुहैया कराया गया, तब जाकर डेड बॉडी मिल सकी।