क्यों अमेरिकी गाइडलाइंस के चक्कर में ना पड़ें, दो डोज वैक्सीन के बाद भी मास्क जरूर लगाएं


नई दिल्ली, पिछले साल मार्च से जबसे कोरोना ने पूरी दुनिया को तबाह करना शुरू कर दिया था, हर देश इस वायरस से बचाव के लिए अमेरिका के सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की गाइडलाइंस को ध्यान में जरूर रखते थे। अमेरिका में सीडीसी को वही दर्जा है, जो भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का है। लेकिन, हाल ही में सीडीसी ने एक ऐसी एडवाइजरी जारी की है, जिसपर दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान हैं। सीडीसी ने कहा है कि अमेरिका में जो लोग वैक्सीन की पूरी डोज लगवा चुके हैं, उन्हें मास्क लगाने की जरूरत नहीं रह गई है। बता दें कि दूसरी डोज लगाने के 15 दिन बाद लोगों को पूरी तरह से वैक्सीनेटेड माना जाता है। लेकिन, एक्सपर्ट कह रहे हैं कि सीडीसी की नई गाइडलाइंस को कतई नहीं मानें और दो डोज लगाने के बावजूद मास्क जरूर पहनते रहें। आइए समझिए कि वैक्सीन की डोज पूरी होने के बाद भी सबको मास्क लगाना क्यों जरूरी है?
सीडीसी के दावे पर उठ रहे हैं सवाल 

अमेरिका में एक वर्ग ऐसा है, जिसने शुरू से मास्क लगाने में कोताही बरती है। वहां इस पाबंदी को व्यक्तिगत आजादी में खलल के साथ जोड़ने वाले मानसिकता की भी कमी नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर ऐसे लोगों का मनोबल बढ़ाने के भी आरोप लग चुके हैं। इन सब परिस्थितियों के बीच सीडीसी ने अचानक दावा किया है कि स्टडी से पता चलता है कि पूरी डोज लेने के बाद बहुत कम लोग ही कोविड से संक्रमित होते हैं। यही नहीं वो दूसरों को संक्रमित करें, इसकी भी संभावना नहीं के बराबर है। लेकिन, सीडीसी की इस दलील को दुनियाभर के एक्सपर्ट हजम करने के लिए तैयार नहीं हैं। जिस सीडीसी पर विश्वभर की स्वास्थ्य एजेंसियां आंख मूंद कर यकीन करती थीं, उसके इस दावे पर सवाल उठा रही हैं।

शर्तों के साथ जारी हुई है गाइडलाइंस 

निश्चित तौर पर सीडीसी ने जो एडवाइजरी जारी की है, वह अमेरिका में रह रहे लोगों के लिए है और उसमें भी कुछ शर्तें हैं। उदाहरण के लिए वहां स्टूडेंट और टीचरों से कहा गया है कि स्कूलों में मास्क लगाना ना छोड़ें। इसके अलावा पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों से भी भीड़ में, हवाई जहाज में या फिर अस्पतालों में मास्क लगाकर ही जाने की सलाह दी गई है। तथ्य ये है कि अमेरिका कोविड की बहुत बड़ी मार झेल चुका है। अभी भी कुल मामले और कुल मौतों में वह भारत से कहीं आगे है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों में उसकी स्थिति काफी सुधरी है। फिर भी अभी तक हर दिन करीब 30,000 नए केस और 600 से ज्यादा मौतें हो ही रही हैं। लेकिन, उसके हुक्कमरानों में बाजी जीत लेने वाली भावना इसलिए दिखाई पड़ रही है, क्योंकि पिछले हफ्ते तक उसने अपनी आबादी के करीब एक-तिहाई लोगों का पूर्ण टीकाकरण कर दिया है, जो कि 12 करोड़ से ज्यादा है।

तीनों वैक्सीन के प्रभावी होने से निश्चिंत हो गया है अमेरिका ? 

अमेरिका में तीन अमेरिकी कंपनियों की ही वैक्सीन लगाई जा रही है। फाइजर और मॉडर्ना की दो डोज वाली वैक्सीन है और जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वाली वैक्सीन है। शोध में यह बात सामने आई है कि इन तीनों वैक्सीन की डोज पूरी कर चुके लोगों में कोरोना संक्रमण के बहुत ही कम मामले सामने आए हैं। लेकिन, फिर भी मास्क नहीं पहनने की सलाह देना वैज्ञानिकों की समझ से बाहर है। उनका कहना है कि इससे सिर्फ कंफ्यूजन पैदा होगा और यह कौन देखेगा कि मास्क नहीं पहनने वाले शख्स का टीकाकरण पूरा हुआ है या नहीं? यही नहीं, अमेरिका में भी हर आदमी सीडीसी के फैसला से सहमत नहीं है।

मास्क हटाने के विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं- एक्सपर्ट 

दिक्कत ये है कि अमेरिकी नियामक संस्था ने किन परिस्थितियों में ऐसी एडवाइजरी जारी की है, वह वो जाने। लेकिन, कहीं भारत में लोग उसकी वजह से भ्रमित ना हो जाएं! यही वजह है कि भारतीय वैज्ञानिक और एक्सपर्ट सीडीसी राय को पूरी तरह से खारिज कर चुके हैं। मसलन, महाराष्ट्र के प्रदेश कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट मेंबर डॉक्टर शशांक जोशी ने कहा है, ‘मैं सहमत नहीं हूं (सीडीसी की गाइडलाइंस से)। मैं नहीं सोचता कि इस तरह के सारे आंकड़े मौजूद हैं, जिसके आधार पर इस तरह का फैसला लिया जा सके। मैं कहूंगा कि अभी कुछ समय और इंतजार करना चाहिए।’ जाने-माने वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील कहते हैं, ‘इससे यह संदेश जाएगा कि सबकुछ ठीक है।……मेरी समझ से सीडीसी का फैसला बहुत जल्दबाजी वाला है। भारत के मामले में मास्क हटाने के विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं। ‘

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दो डोज वैक्सीन के बाद भी मास्क जरूर लगाएं 

सबसे बड़ी बात ये है कि भारत की परिस्थतियां भी पूरी तरह से अलग हैं। दूसरी लहर अभी भी कहर ढा रही है और तीसरी लहर का खौफ सिर पर सवार है। करीब 140 करोड़ आबादी के मुकाबले लगभग 4 करोड़ लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण हो पाया है। यही नहीं भारत में जो दोनों वैक्सीन अभी तक इस्तेमाल हुई हैं- कोविशील्ड और कोवैक्सिन, वह भी अलग हैं। यही नहीं वैक्सीन के प्रभाव को लेकर भी शोध लगातार चल ही रहे हैं और उसी हिसाब से गाइडलाइंस में भी लगातार संशोधन किए जा रहे हैं। ऊपर से इतने बड़े पैमाने पर हुए संक्रमण ने तरह-तरह के वेरिएंट को जन्म दिया है और इसकी संख्या बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। शुरुआती शोध से पता चलता है कि दोनों भारतीय वैक्सीन नए वेरिएंट पर भी काफी प्रभावी हैं, लेकिन अगर भविष्य में नए वेरिएंट आते हैं तो उस समय कैसे हालात बनेंगे, इसके बारे में अनुमान कौन लगा सकता है? इसलिए दो डोज ले चुके हैं तो बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन, इसका मतलब नहीं है कि आपको मास्क से छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए। इंतजार कीजिए, सब ठीक रहा तो दिन भी जल्द आएगा।