लखनऊ, मई 18: उत्तर प्रदेश में कोरोना से लड़ने के इंतजामों पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि मौजूदा हालात में सूबे के गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद विपक्ष योगी सरकार को घेरने में जुट गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की अति कठोर टिप्पणी के बाद तो राज्य के नेतृत्व को जागना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिलों के दौरे को दिखावटी करार देते हुए कहा कि इससे कुछ नहीं होने वाला, मरते हुए लोगों के प्रति सच्ची संवेदना और सक्रियता दिखाइए।
अखिलेश ने कहा- माननीय मानवीय बनिए!
अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘भाजपा सरकार में उप्र के गांवों व कस्बों में चिकित्सा सेवाओं की दुर्व्यवस्था पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की अति कठोर टिप्पणी के बाद तो राज्य के नेतृत्व को जागना चाहिए। दिखावटी दौरों से कुछ नहीं होने वाला, मरते हुए लोगों के प्रति सच्ची संवेदना और सक्रियता दिखाइए।’ अखिलेश ने आगे कहा, ‘माननीय मानवीय बनिए!’
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HC ने की टिप्पणी- सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के छोटे शहरों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने और मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाही पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। कोर्ट ने मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोविड मरीज संतोष कुमार के लापता होने में डाक्टरों और मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही को गंभीर मानते हुए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य को जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को चार महीने में प्रदेश के अस्पतालों में चिकित्सकीय ढांचा सुधारने और पांच मेडिकल कॉलेजों को एसजीपीजीआई स्तर का संस्थान बनाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है।