लखनऊ, जून 16: विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर उत्तर प्रदेश में अब सियासी पारा चढ़ने लगा है। दरअसल, यूपी में विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म होने जा रहा है और ऐसे में सभी राजनीतिक दल चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसी सियासी माहौल के बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से निकाले गए नौ विधायकों पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मंगलवार यानी 15 जून को लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी के ऑफिस मुलाकात की। बागी विधायकों द्वारा अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद आज यानी बुधवार 16 जून को मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा।’
बीएसपी अध्यक्ष व यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने बुधवार 16 जून को एक के बाद एक पांच ट्वीट किए। ट्वीट करते मायावती ने लिखा, ‘घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा।’ उन्होंने कहा, ‘जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आराप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है।’
मायावती ने आगे लिखा, ‘सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।’ कहा कि, ‘जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।
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पूर्व सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है। यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा।’