कोविशील्ड की दो डोज का अंतर बढ़ाने के पीछे वैज्ञानिक कारण, ब्रिटेन में दिख रहे अच्छे परिणाम


नई दिल्ली, : भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ 17 जनवरी से टीकाकरण अभियान जारी है। शुरू में सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से निर्मित कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 28 दिन का अंतर रखा गया था। इसके बाद इसमें 4-6 हफ्तों का गैप हो गया। सब कुछ सामान्य चल ही रहा था कि मई में सरकार ने इस गैप को बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते कर दिया। जिस पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया। इस वजह से अब वैक्सीनेशन पर बनाए गए नेशनल टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAGI) ने विस्तार से अपनी सफाई दी है।

NTAGI के डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि 2 कोविशिल्ड खुराक के बीच के अंतर को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का निर्णय एडिनोवेक्टर टीकों के व्यवहार के संबंध में है, जिसकी ठोस वैज्ञानिक वजहें हैं। अप्रैल 2021 के अंतिम हफ्ते में यूनाइटेड किंगडम के स्वास्थ्य विभाग की कार्यकारी एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि 12 सप्ताह के अंतराल पर वैक्सीन की प्रभावकारिता 65% – 88% के बीच होती है।

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भारत सरकार के मुताबिक दो टीकों के बीच वक्त बढ़ाकर ही ब्रिटेन ने अल्फा वेरिएंट पर काबू पा लिया। इसके भारत के वैज्ञानिकों और सरकार ने सोचा कि ये एक अच्छा आइडिया है, साथ ही इससे एडिनोवेक्टर टीके अच्छी प्रतिक्रिया देंगे। इसके बाद सरकार ने 13 मई को एक आदेश जारी किया, जिसके तहत अंतराल को बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का निर्णय लिया गया। ये लोगों को सहूलियत देता है क्योंकि हर कोई ठीक 12 हफ्ते में नहीं आ सकता है।