जनता के पैसे से खिलवाड़ का सबसे बड़ा प्रमाण कज्जाकपुरा आरओबी


(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)। प्रदेश में योगी सरकार को सत्ता में आये लगभग साढ़े चार वर्ष पूर्ण होने को हैं। इस दौरान पीएम के संसदीय क्षेत्र बनारस के लिए विकास का जो ताना-बाना बुना गया वो किसी से छिपा नहीं है। सरकार की अनेक योजनाएं काशी के विकास के लिए स्वीकृत हुईं और कार्य कराने के लिए शासन से धनराशि भी अवमुक्त की गई। सत्ता परिवर्तन के बाद मुखिया तो बदल गए लेकिन कार्य करने वाले वही लोग अपने पदों पर काबिज रहे जो पूर्ववर्ती सरकार में कायम थे। इनमें कई ऐसे भी रहे जो वर्तमान सरकार की योजनाओं को किसी भी कीमत पर फलीभूत नहीं होने देना चाहते थे। काशी की जलालत का सिलसिला जो विगत दो दशक पूर्व शुरू हुआ आज भी बदस्तूर जारी है। अंतर इतना हुआ कि वर्तमान में जितने भी जन प्रतिनिधि हैं वो सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए हैं। जिसमें तीन प्रतिनिधि प्रदेश सरकार में मंत्री पद को भी सुशोभित कर रहे हैं। बावजूद इसके ट्रैफिक जाम की समस्या से पूरा शहर त्रस्त है। जिसमें शहर का पूर्वी क्षेत्र कज्जाकपुरा सबसे ज्यादा प्रभावित है। जिसको दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार ने कज्जाकपुरा में लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबा आरओबी बनाने की कवायद शुरू की और फरवरी 2019 में 62 करोड़ की लागत के आरओबी के निर्माण की जिम्मेदारी सेतु निगम को सौंपी गई है। जिसको पूर्ण करने हेतु सेतु निगम ने जून-2022 में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया। कार्य शुरू होने के दौरान भूमिगत सीवर व पाइप लाइन के साथ ही इलेक्ट्रिक केबिल के चलते कार्यों में बाधा उत्पन्न होने से कार्य बंद करना पड़ा। तकनीकी जांच के पश्चात कार्य का पुन: आगणन शासन को भेजा गया। 144 करोड़ का आगणन स्वीकृत होने के बाद भी कार्यदाई एजेंसियों की शिथिलता के कारण कार्य गति नहीं पकड़ सका है।
समय से कज्जाकपुरा आरओबी बनने में संशय
सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक ने बताया कि आरओबी के मार्ग में सकरा स्थान होने के कारण कंक्रीट के बीम के स्थान पर गार्डर के बीम का इस्तेमाल किया जायेगा। जिसके चलते समय की बचत होगी और समय से कार्य पूर्ण किया जा सकता है। बताया कि बिजली विभाग द्वारा भूमिगत बिजली के केबल को शिफ्ट किया जाना है। जल निगम व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा सीवर की गहरी मेन लाइन व पेयजल पाइप लाइन शिफ्ट न करने के साथ ही जल संस्थान द्वारा भी पेयजल लाइन को शिफ्ट किया जाना है। परन्तु सम्बंधित विभाग द्वारा कार्य मे बरती जा रही शिथिलता को देखते हुए समय से कार्य पूर्ण कर पाना सम्भव नहीं दिख रहा है। क्योंकि सम्बंधित विभाग द्वारा निविदा की प्रक्रिया ही अभी पूर्ण नहीं हो पाई है। सम्बंधित विभाग का कहना है कि निविदा स्वीकृत होने के उपरांत ही कार्य प्रारम्भ किया जा सकेगा। ऐसे में समय से कार्य न पूर्ण होने के कारण लागत में बृद्धि के चलते पुन: लागत में बृद्धि होने की संभावना है।
ड्राइंग-डिजाइन व सकरे रास्ते के चलते बढ़ी लागत
सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक रोहित अग्रवाल ने ‘काशीवार्ता’ से बातचीत के दौरान बताया कि ड्राइंग डिजाइन में परिवर्तन के कारण कज्जाकपुरा आरओबी की लागत में बढ़कर 62 करोड़ से 144 करोड़ हो गई है। निर्माणाधीन आरओबी के पूर्वोत्तर रेलवे व उत्तर रेलवे का दो भाग का कार्य रेलवे द्वारा किया जाना है जिसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे को 25 करोड़ व उत्तर रेलवे को लगभग 10 करोड़ रुपये अवमुक्त करने के साथ ही बिजली विभाग, जल निगम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई व जल संस्थान को 64.28 करोड़ रुपये अवमुक्त किया जा चुका है। श्री अग्रवाल ने बताया कि बिजली विभाग, जल निगम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई व जल संस्थान से लगातार पत्राचार कर कार्य शीघ्र पूर्ण कराये जाने का अनुरोध किये जाने के बाद भी अभी तक उनके द्वारा कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया है।