¦fवाराणसी (काशीवार्ता)। सरकार द्वारा अरबों रुपये खर्च कर गंगा के निर्मलीकरण के लिए जो योजना बनाई उसको अधिकारियों की ना-समझी ने धूल धूसरित कर रख दिया। स्थिति यह हो गई कि गंगा अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी आज भी मैली है और स्थिति यह हो गई कि अब गंगा का पानी आचमन तो दूर स्नान करने योग्य भी नहीं बची। गंगा निर्मलीकरण के लिए बनाई गई योजना में जल निगम फेल हो गया। आज भी सीवर का मल-जल युक्त कई एमएलडी गंदा पानी गंगा में अनवरत जा रहा है। जल निगम ने 2030 तक जो योजना बनाई उसके अनुसार 50 एमएलडी पानी एसटीपी तक पहुंचना था परन्तु एक दशक पूर्व ही उससे कहीं 60 प्रतिशत अधिक सीवर का पानी पहुंच रहा है। जबकि बरसात के दिनों में यह मात्रा दोगुनी हो जाएगी। अब पुन: जल निगम ने रमना एसटीपी की क्षमता बढ़ाने के लिए सर्वे शुरू करवाया है। अस्सी नाले से गंगा में सीधे सीवर डिस्चार्ज को रोकने के लिए नगवां में पंप स्टेशन का मार्च में ट्रायल के दौरान कुछ दिन बाद वहां से सीवर पंप करके रमना भेजा जाने लगा। स्थिति यह हो गई कि बारिश से पूर्व ही नगवां से 60-65 एमएलडी सीवर का पानी रमना पहुंच लगा और दो माह में ही स्थिति यह हो गई कि मात्रा बढ़कर 80 एमएलडी के आसपास हो गई है। जबकि अस्सी नाला अभी पूरी तरह बंद भी नहीं किया जा सका है। यदि इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया तो इसकी 10 एमएलडी से अधिक सीवर की मात्रा बढ़ने का अनुमान है।
अधिकारियों ने माना गलती हुई-जल निगम के अधिकारी अब मान रहे हैं कि सीवर के पानी का पूर्वानुमान लगाने में चूक हुई है। प्रोजेक्ट मैनेजर एस.के.बर्मन का कहना है कि रमना एसटीपी की क्षमता 50 एमएलडी है लेकिन अब उसकी क्षमता 112 एमएलडी सीवर शोधन की हो सकती है। उन्होंने बताया कि रमना एसटीपी की क्षमता बढ़ाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। हालांकि अस्सी नाले का पानी गंगा में गिरने से अब तक न रोके जाने पर जल निगम के प्रबन्ध निदेशक ने रविवार को स्थलीय निरीक्षण के दौरान विभागीय अधिकारियों व कार्यदायी संस्था को जमकर फटकार लगाई है। रविवार को नगवां पंपिंग स्टेशन के निरीक्षण के दौरान प्रबन्ध निदेशक ने अस्सी नाले पर दीवाल का कार्य पूर्ण न होने पर कार्यदायी संस्था से पूछा कि आखिर दीवाल बनाने में कितना समय लगाएंगे। जो कार्य मार्च माह में पूर्ण होना था वो आज तक क्यों नहीं पूर्ण हुआ। एमडी ने जल निगम के चीफ इंजीनियर ए.के.पुरवार से नमामि गंगे जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर गंभीरता न बरतने पर नाराजगी जताते हुए उनकी कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि क्यों न कार्य में लापरवाही बरतने हेतु आप पर कार्रवाई की जाए।
जल निगम के मुख्य अभियंता ए.के.पुरवार ने इसका ठीकरा जनता पर फोड़ते हुए इसके लिए बाहरी लोगों के कारण यह स्थिति उत्पन्न करती रही। जिससे नाराज एमडी ने जमकर लताड़ लगाते हुए कहा कि एसटीपी की क्षमता का आकलन करते समय आपलोग कहां थे। क्या उस समय नहीं पता था कि बनारस में कितने लोगों का प्रतिदिन आना-जाना लगा रहता है।
शाही नाला के कार्य में मिली लापरवाही-जल निगम के एमडी ने शाही नाला की सफाई का काम छह साल में पूरा न होने पर नाराजगी जताई। मछोदरी में निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि चार वर्षों से मानसून से पहले सफाई पूरी होने की बात कही जाती है। परन्तु आज तक सफाई नहीं हो सकी। लहुराबीर क्षेत्र में चल रहे गहरे सीवर के काम की प्रगति देखने पर अधिकारियों ने बताया कि खिड़किया घाट पर शाही नाला से गंगा में गिर रहे सीवर को रोकने के लिए कार्य चल रहा है।