वाराणसी(काशीवार्ता)। सामाजिक उद्यमिता की संस्था आनंद कानन की ओर से नंदनगर स्थित आर्गेनिक हाट सभाकक्ष में रविवार को परिसंवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया। हमारा स्वास्थ्य व अनाज पर विशेष चर्चा हुई। मुख्य अतिथि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड भारत सरकार के निदेशक व कृषि वैज्ञानिक बीएचयू प्रो. गुरूप्रसाद सिंह ने कहा कि शरीर को पोषण धरती से मिलता है इसलिए मिट्टी की सेहत को सुधारना बहुत ही जरूरी है। अनाज की गुणवत्ता हमारी मिट्टी ही तय करती है। जब मिट्टी ही बीमार होगी तो सेहतमंद अनाज नहीं मिलपाएगा। मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए जैविक खाद का प्रयोग करना होगा। रासायनिक कीटनाशकों व रासायनिक खाद से पैदा अनाज से पेट तो भरा जा सकता है लेकिन उससे सेहत पाना संभव नहीं है। लम्बे समय तक इस तरह के अनाज बीमारी का कारण बनते हैं। सबसे ज्यादा कीटनाशक व रसायनिक खाद का प्रयोग फल व सब्जियों में हो रहा है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज सेहतमंद है। बाजरे का आटा व चावल में पाया जाना वाला एक प्रोटीन कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखता है। बुंदेलखंड के किसान डा. धर्मेंद्र मिश्र ने जैविक अनाज की चुनौेती व भारत सरकार की ओर से किसानों को मिल रहे लाभ के बारे में बताया।
भाजपा के जिला मीडिया सह प्रभारी अरविंद मिश्र ने कहा कि अनाज की घटती हुई गुणवत्ता व अधिक रासायनिक खाद के प्रयोग से उन लोगों को भी उस तरह की बीमारी हो रही है जैसी सिगरेट व शराब पीने वालों को होती है। भारतीय खाने की थाली कार्बो हाइडेड प्रोटीन व फैट से भरपुर थी। हमें फिर से पीछे लौटना होगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डा. अवधेश दीक्षित, डा. कृष्णकांत शुक्ला, अरविंद मिश्र, आनंद कुमार मिश्र, राकेश सरावगी, डा. अमित पाण्डे, डा. दीपक कुमार राय, डा. अभिषेक आदि उपस्थित रहे।