नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के मानसून सत्र की उत्पादकता 22 प्रतिशत रहने पर खेद व्यक्त किया है। बिरला ने कहा कि सदन को चलाना सरकार एवं विपक्ष दोनों का सामूहिक काम है। इस सत्र में सदन में अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं हुआ। उनका प्रयास रहा कि सदन में अधिक काम हो। विधायी कार्य हो और लोगों के मुद्दों पर चर्चा हो, लेकिन इस बार गतिरोध रहा जो समाप्त नहीं हो सका। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि के मानसून सत्र में इस बार 96 घंटे में से कुल 74 घंटे 46 मिनट तक कार्य नहीं हो सका। 13 सरकारी विधेयक पुरस्थापित किये गये। 20 विधेयक पारित किये गये। इसमें संविधान का 127वां संशोधन विधेयक है। उन्होंने कहा कि लोगों की अपेक्षा रहती है कि सदन सुचारू चले।
बिरला ने कहा कि सभी सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि सदन की मर्यादा बनाये रखे। संसद की मर्यादा गरिमा उच्चकोटि की रही है। पहले भी विवाद रहते थे, लेकिन सदन की गरिमा मर्यादा बनी रही। तख्तियां और नारे मर्यादा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में उन्होंने सभी दलों के नेताओं से संवाद किया था। इसमें नेताओं ने कहा था कि उनके मुद्दों पर चर्चा हो। कुछ मुद्दों पर टकराव होते है, लेकिन चर्चा होती है। तख्तियां दिखाने और नारे लगाने को लेकर कार्रवाई करने के नियम भी है। सदस्यों से अपेक्षा है कि वह सहमतियों-असहमतियों के बावजूद सामूहिकता की भावना से चले। उन्होंने सदस्यों से अपील की थी कि सदन में वह किसी मुद्दे पर चर्चा करने की मांग करते है, तो वह चर्चा करे। सदन व्यवस्थित होगा, तो चर्चा हो सकेगी।