(मनोज कुमार)
वाराणसी ( काशीवार्ता )। वैश्विक महामारी कोरोना का दंश अभी उतरा भी नहीं था कि बाढ़ की विभीषिका सीने पर चढ़ आई। गंगा -वरुणा नदी में आए उफान ने इनके तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन में तूफान ला दिया है। घर -आंगन, खेत -खलियान में लहराते बाढ़ के पानी ने हजारों लोगों का सुख चैन छीन लिया है। बेघर हो चुके सैकड़ों परिवार अब जान बचाने को पलायन के लिए मजबूर हैं । वहीं उनके खाने पीने रहने को लेकर भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा सके हैं जिससे उनके आगे घोर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं। जिंदगी बचाने को लोगों का पलायन जारी है। बाढ़ के पानी में घिर चुके अपने छोटे छोटे बच्चों के अलावा घर गृहस्थी और आवश्यक सामान के साथ किसी सुरक्षित स्थान पर नाव के सहारे जाते ऐसे लोग देखे जा सकते हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने से वरुणा नदी में उफान अपने चरम पर है। इससे हजारों मकान जलमग्न हो चुके हैं। बाढ़ के रौद्र रूप ने तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के आगे एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। वरुणा में आए उफान की वजह से गरीब परिवारों को प्रकृति की मार झेलना पड़ रहा है। शासन -प्रशासन की तरफ से बाढ़ पीड़ितों को जो मदद पहुंचाई जा रही है, वह नाकाफी साबित हो रही है। आज भी हजारों लोग मदद की बाट जोह रहे हैं । वर्तमान में बाढ़ की विभीषिका शासन प्रशासन के पुख्ता इंतजामों की पोल खोलती दिख रही है । बाढ़ से निपटने को शासन प्रशासन की ओर से दावे तो किए जाते हैं लेकिन यह दावे वर्तमान में पूरी तरह से फ्लॉप साबित हो रहे हैं। वरुणा में आए उफान के कारण लोगों के मकान में पानी घुस गया है। कई परिवार के लोग कमरा खाली कर छत पर तिरपाल लगा कर सामानों को सुरक्षित तो कर लिए हैं लेकिन उन्हें सामान चोरी होने का डर भी सता रहा है जिसके लिए वे रात भर जाग कर बिताने को मजबूर हैं। प्रत्येक वर्ष इसी तरह लोगों की नींद और चैन हराम हो जाता है। बाढ़ आने की वजह से चोर भी रात के अंधेरे में सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे मौके पर बिजली काट दिए जाने से चोरों की चांदी हो जाती है। प्रशासन को चाहिए बाढ़ग्रत क्षेत्रों में जल पुलिस की डियूटी लगा कर मोटरबोट से गश्त कराये। जिससे बाढ़ पीड़ितों में सुरक्षा की भावना बनी रहे। जिला प्रशासन बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षा और खाने पीने व दवा की व्यवस्था कराएं। कभी-कभी ऐसा होता है कि प्रशासन व्यवस्था तो करा देता है लेकिन इसका लाभ वास्तविक लाभार्थियों को नहीं मिल पाता। वरुणा से सटे इलाके कोनियाँ , पुराने पुल, सरैया, नक्खी घाट, सिधवा घाट, मीरा घाट, ढेलवरिया, चौका घाट पुराना पुल, शैलपुत्री, अमरपुर मड़िया आदि इलाकों में बाढ़ पानी ने त्राही मचा रखा है।
बाढ़ फिर मचायेगी तबाही, पलायन शुरू
गंगा का जलस्तर कम होने की जगह लगातार बढ़ता ही जा रहा। बाढ़ का पानी सामनेघाट इलाके में तेजी से गुरुवार को भी बढ़ता ही रहा। सामने घाट इलाके में अभी तक सुरक्षित बसें कॉलोनियों में पानी प्रवेश कर गया। इस कारण लोगों की मुसीबतें दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा। जानकी नगर,कृष्णा नगर,हरिओम नगर,पटेल नगर,बालाजी एक्सटेंशन में मारुति के उत्तरी हिस्से से पानी प्रवेश कर गया। इन इलाकों में रहने वाले अपने घरों में ताला बन्दकर सुरक्षित स्थान की तरफ निकल लिए। बाढ़ से घिरे लोगों की मदद में एनडीआरएफ के जवान मोटरवोट लेकर मुस्तैद हैं। एनडीआरएफ की टीम ने गुरुवार को लगभग 150 लोगों को लोगों रेस्क्यू कर कालोनियों से सकुशल निकाला। राहत शिविरों में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों में खिचड़ी और पूड़ी सब्जी वितरित किया गया। इन इलाकों में रहने वाले पशुपालकों के सामने पशुओं को चारा खिलाने की समस्या बन गई हैं। बाढ़ से घिरे कॉलोनियों में नाव से पुलिसकर्मी गश्त कर चोरों की निगरानी कर रहे हैं।