अंसारी बंधुओं को रास नहीं आ रही बसपा की सियासत!


(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। मुहम्मदाबाद विधानसभा की सीट इस बार अंसारी बंधुओं के लिए अहम मानी जा रही है। हर हाल में इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए अंसारी बंधु हर दांव आजमा रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में दूध से जले हैं तो इस बार मट्ठे को भी फूंक फूंक कर पी रहे हैं। ताकि उन्हें किसी भी प्रकार का कोई रिस्क न लेना पड़े। इस कवायद के बीच बसपा सांसद अफजाल अंसारी के बड़े भाई एवं मुहम्मदाबाद के पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में जाने की चर्चाए जोर पकड़ने लगी हैं। हर सियासी चाय पान की दुकान पर सिर्फ यही चर्चा हो रही है कि कब हाजी साहब सपा में जाएंगे।
बतादें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के संयुक्त प्रत्याशी रहे अफजाल अंसारी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को धूल चटाई थी। इस चुनाव के बाद से ही योगी सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए टूट पड़ी। बहुत कुछ हुआ। मगर अंसारी बंधुओं ने उफ तक नहीं किया। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अंसारी बंधुओं को अपने सियासी भविष्य की चिंता सताने लगी है। सूत्रों की मानें तो सपा में जाने के लिए कई दौर की वार्ता भी हुई। लेकिन अखिलेश चाहते हैं कि एक साथ पूरा अंसारी बंधु सपा में शामिल हो जाए। इसमें मुख्तार अंसारी का परिवार भी हो। इसको लेकर बातचीत लगातार चल रही है। इसकी भनक बसपा को भी है। अंसारी बंधुओं की इस सियासी दौड़ भाग पर बसपा नजर गड़ाए हुए हैं। बसपा चाहती है कि अंसारी बंधु सपा में रहें। जब बीते 19 अगस्त को बसपा का प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी आयोजित की गई थी तो उसमें सांसद अफजाल अंसारी ने काशी विश्वनाथ की प्रतिमा बसपा के सतीश चंद मिश्रा को भेंट की थी। सूत्रों की मानें तो किसी भी सूरत में अफजाल बसपा को नहीं छोड़ेंगे। अगर वह पार्टी छोड़ते हैं तो उनकी सदस्यता जाने का खतरा सर्वाधिक रहेगा। बसपा उन्हें निकालती है तो इस लिहाज से उनकी सदस्यता बच सकती है। यहां पर सबसे अहम सवाल यह है कि मुहम्मदाबाद में अंसारी बंधुओं को 2017 में यदुवंशियों ने धोखा दिया था। वैसे मुहम्मदाबाद विधानसभा में भूमिहार, यादव, दलित और अन्य पिछड़ों में कुल तीस प्रतिशत ऐसे वोट हैं जो हमेशा अंसारी बंधुओं के साथ रहे हैं और आगे भी रहेंगे। करईल और बांगर का जो इलाका है उसमें बांगर के इलाके में यदुवंशी रहते हैं। अगर यदुवंशियों का साथ इस बार नहीं मिला तो उन्हें फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए रणनीति के तहत अंसारी बंधु सपा की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। जब वह सपा में शामिल भी होंगे तब उन्हें यदुवंशियों के प्रति अपना रूख पहले से कुछ ज्यादा ही नरम रखना होगा। वरना भितरघात होने में देर नहीं लगेगी। वैसे अंसारी बधुओं के सपा में आने से अखिलेश को पूरे पूर्वांचल में बड़ा फायदा होगा। मुस्लिम वोट के धु्रवीकरण को रोका जा सकेगा। अब देखना होगा कि अफजाल को छोड़कर अन्य अंसारी बंधु कब अखिलेश के गले मिलकर भाजपा के खिलाफ जंग का एलान करेंगे।