(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न दलों की रणनीति में राजभर वोटों की खास अहमियत बताई जा रही है। पूर्वांचल की अधिकांश सीटों पर प्रभाव डालने वाले राजभरों को अपने पाले में करने के लिए सपा ने भी दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। मगर राजभर की भारी भरकम डिमांड के कारण सपा ने अपने कदम पीछे खिंच लिए हैं। अब भाजपा से कई दौर की गुप्त वार्ता ने यह तय कर दिया है कि ओमप्रकाश एक बार फिर भाजपा से गठबंधन करके योगी सरकार में मंत्री बनेंगे। अगर ऐसा होता है तो सीधे तौर पर अखिलेश के लिए बड़ा झटका माना जाएगा।
सुभासपा के नाम पर राजभर वोटों की राजनीति करने वाले ओमप्रकाश राजभर को भाजपा ने ही सियासत में स्टार बनाया। 2017 से पहले उन्होंने कई दलों से गठबंधन किए, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। जब 2017 में भाजपा से जुड़े तो उनका स्टार बुलंदियों पर पहुंच गया। चार सीटों पर उनके विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन सियासत में कुछ भी संभव की तर्ज पर उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ बिगुल उस समय बजाया जब वह योगी सरकार का हिस्सा थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा में विलय की बारी आई तो ओमप्रकाश राजभर ने सीधे तौर पर इंकार कर दिया। यहां भी तलवारें खिंची। मऊ में भाजपा भी हारी और सुभासपा को भी झटका लगा। चुनाव नतीजों के बाद ओमप्रकाश राजभर को योगी ने कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया। तब से लेकर अब तक ओमप्रकाश राजभर भाजपा को घेर रहे हैं और कुछ दिनों तक सपा से भी उनकी बात हुई। बिना गठबंधन के यूपी में राजभर अपनी सियासी जमीन तैयार नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह रही कि गठबंधन पर जोर दे रहे हैं। उन्हें यह पता है कि बिना गठबंधन किए वह सरकार का हिस्सा नहीं बन सकते। इधर अगस्त महीने में ओमप्रकाश राजभर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की मुलाकात ने सियासत में भूचाल मचा दिया। जहूराबाद से विधायक ओमप्रकाश राजभर ने इसे भले ही शिष्टाचार मुलाकात का नाम दिया, मगर अंदरखाने राजभर और भाजपा की सियासी खिचड़ी लगभग पक चुकी है। राजभर के करीबी लोगों का कहना है कि दस सीटों के साथ ही एक एमएलसी पद और ओमप्रकाश को मंत्री बनाने पर बात फाइनल हो चुकी है। सूत्रों पर भरोसा करें तो यह सब सियासी निर्णय भाजपा में अमितशाह की टीम ने लिया है। गृहमंत्री अमितशाह ही इस बार भी यूपी चुनाव को लीड करके सहयोगी दलों से बात करेंगे। राज्यपाल कोटे से चार लोगों को एमएलसी बनाना है। जिसमें एक सीट भाजपा ओमप्रकाश राजभर के बेटे को सौंपी जा सकती है। भाजपा इतना झुककर ओमप्रकाश राजभर से इस तरह का समझौता कर रही है तो उसके पीछे की बड़ी सियासी गणित है। वह पूर्वांचल के 32 जिलों की सीटों पर निवास करने वाले राजभर वोटों पर नजर गड़ाए हुए है। जो प्रत्येक विधानसभा में दस से 15 हजार की बढ़त दे सकते हैं। ओमप्रकाश राजभर भी यह जानते हैं कि भाजपा के साथ मिलकर काम करने में ही उनके साथ ही राजभर समाज की भलाई है। राजभरों के लिए केंद्र की मोदी एवं यूपी की योगी सरकार बड़ा चुनावी तोहफा भी दे सकती है। हालांकि राजभर के लोग कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।