(अजीत सिंह)
गाजीपुर(काशीवार्ता)। चमचमाती सड़कों के लिए छटपटा रही ओमप्रकाश राजभर की जहूराबाद विधानसभा में 2022 को लेकर सियासी तस्वीर धुधली नजर आ रही है। यहां सब कुछ रामभरोसे चल रहा है। सियासत के बाजीगरों की बात करें तो सभी टिकट की लाइन में हैं। किसको टिकट मिलेगा और कौन सरताज बनेगा, सब कुछ भविष्य के गर्व में है। मगर डा. सानंद सिंह और पूर्व मंत्री शादाब फातिमा के साथ ही रामप्रताप सिंह की सियासी गतिविधियों की सर्वाधिक चर्चा हो रही है।
ओमप्रकाश राजभर को लेकर चर्चा में आई जहूराबाद विधानसभा की सड़कें टूटी हैं। रोजगार शून्य है। नेता विहीन बन चुकी इस विधानसभा में अधिकारी बेलगाम हैं। सियासत करने वालों का नाम गिनाएं तो पूर्व विधायक कालीचरण राजभर, डा. सानंद सिंह, शादाब फातिमा और भाजपा के रामप्रताप सिंह पिंटू का नाम शामिल है। एक एक नेताओं के सियासी पर्दे को हटाया जाए तो सभी की सियासी धड़कनें बढ़ी हुई हैं। बसपा से दो बार विधायक रहे कालीचरण राजभर टिकट दिलाने के भरोसे पर सपा में पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव के कहने पर चले गए। लेकिन उनको टिकट मिलने के आसार कम ही नजर आते हैं। क्योंकि इसी विधानसभा से 2022 में ओमप्रकाश राजभर किसी न किसी दल से गठबंधन करके ही लड़ेंगे। ऐसी दशा में राजभर वोट बंटेगा और इसका लाभ सीधे भाजपा को मिलेगा। इसलिए कालीचरण को टिकट के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। डा. सानंद सिंह आगामी एमएलसी चुनाव नहीं लड़ना चाहते। ऐसी चर्चा सपा में हो रही है। इस दशा में वह जहूराबाद से टिकट मांग रहे हैं। उनके सामने सबसे बड़ी सियासी दिक्कत उनके गुरू काशीनाथ यादव हैं। दोनों के रिश्ते मौजूदा समय में तल्ख बताए जा रहे हैं। वह प्रमुखी चुनाव में अपने रिश्ते सुधार सकते थे, मगर जहूराबाद विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व प्रत्याशी ब्लाक प्रमुख कासिमाबाद जयहिंद यादव को तनिक भी भाव नहीं दिए। इसलिए अंदरखाने कुछ भी हो सकता है। वैसे सियासत में सबसे अधिक डा. सानंद ने ही चोट खाया है। 2007 के बाद 2016 में उनके साथ भितरघात हुआ था। यहां पर हाथी वाले मिश्रा जी को चाय पिलाने की भी भनक लग चुकी है। सपा से मंत्री रहीं शिवपाल की करीबी शादाब फातिमा जहूराबाद में चल तो रही हैं, मगर यह तय नहीं है कि वह सपा से लड़ पाएंगी…। क्योंकि चाचा और भतीजा में टिकट को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है। इसलिए पूर्व मंत्री का सियासी भविष्य ऊहापोह में है। सियासी पंडित यहां कहते हैं कि अगर शिवपाल अपने बाद किसी के लिए टिकट मांगेंगे तो उसमें शादाब फातिमा पहले नंबर पर होंगी। रही बात भाजपा के रामप्रताप सिंह पिंटू की तो उनके छोटे भाई शिवप्रताप सिंह छोटू मेहनत तो खूब कर रहे हैं। उनके समर्थक टिकट को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन रह रहकर ओमप्रकाश राजभर का नाम सामने आने पर उनकी धड़कन को बढ़ा दे रहा है। जबकि दोनों भाई 2015 से ही जहूराबाद में भाजपा का झंडा बुलंद किए हुए हैं। यहां पर एक चंचल फैक्टर भी है। जो अपनी पसंद और नापसंद भाजपा को बता सकते हैं। अब देखना होगा कि जहूराबाद के इन पांच नेताओं में किसके सिर 2022 में ताज सजेगा।