वाराणसी में दुर्गाकुंड स्थित अंध विद्यालय के बंद होने के विरोध में पिछले 25 दिनों से दुर्गाकुंड लंका मार्ग जाम कर धरने पर बैठे दिव्यांग(दृष्टिबाधित) छात्रों को पुलिस ने रविवार को आधी रात के बाद जबरन उठा दिया। इधर पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में बीएचयू परिसर से बड़ी संख्या में दिव्यांग छात्र दुर्गाकुंड जाने के लिए निकल पड़े, जिनको पुलिस में बीएचयू गेट के पास रोक लिया। छात्रों ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया है।
हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के बंद होने के विरोध में छात्र विद्यालय के बाहर रास्ता जामकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों के विरोध में व्यापारियों ने भी धरना शुरू कर दिया था। रविवार आधी रात के बाद करीब दो बजे एडीएम और सिटी एसीपी की अगुवाई में धरनास्थल से 12 छात्रों को पुलिस ने जबरन उठा लिया।
जैसे ही यह जानकारी अन्य छात्रों को मिली तो बीएचयू के अलग-अलग छात्रावासों में रह रहे दृष्टिबाधित छात्र भड़क गए। बीएचयू गेट पर पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उधर दृष्टिबाधित छात्रों के बीएचयू गेट पर पहुंचने की सूचना मिलते ही कई थानों की फोर्स पहुंच गई और उन्हें बाहर जाने से रोका।
घटना के बारे में दिव्यांग छात्र अभय शर्मा ने बताया कि सभी साथी धरना स्थल पर सो रहे थे। इस दौरान पुलिस ने जबरन उन्हें हटा दिया। उनका कहना था कि रविवार को ही दिन में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर से मुलाकात के दौरान सोमवार सुबह तक धरना स्थगित करने की बात कही गई थी, लेकिन पुलिस ने ऐसा क्यों किया यह समझ से परे है। इस तरह की कार्रवाई गलत है।
अंध विद्यालय दुर्गाकुंड को बंद करने के विरोध में पिछले 25 दिन से धरनारत छात्रों से रविवार को प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने सर्किट हाउस में बातचीत की थी। उन्होंने कक्षा 9 से 12 के संचालन में आ रही समस्या के बारे में प्रबंध समिति से भी बातचीत की।
इस दौरान अनिल राजभर ने छात्रों को शासन स्तर पर प्रयास कर जल्द से जल्द उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था। बातचीत में छात्रों से दुर्गाकुंड पर चल रहे धरना प्रदर्शन को समाप्त करने को कहा गया, जिस पर छात्रों द्वारा दुर्गाकुंड मुख्य मार्ग से हटने के प्रति रजामंदी व्यक्त की गई थी।