UP: बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट, ‘मैजिक 5’ पार लगाएंगे पार्टी की चुनावी नैया


उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गई है. पार्टी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और उनकी टीम पहली ही बैठक में कार्य विभाजन के बाद अब माइक्रो मैनेजमेंट में एक कदम और आगे बढ़ा सकती है. पार्टी सभी छह क्षेत्रों में प्रभारी बनाए गए पदाधिकारियों के कार्य में और विभाजन करने के लिए तैयार है. संगठनात्मक रूप से पार्टी के छह क्षेत्र काशी, गोरक्ष, अवध, कानपुर-बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम क्षेत्र हैं. पार्टी ने सभी क्षेत्रों के लिए सह-प्रभारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी देकर ये तय कर दिया है कि यूपी का चुनाव माइक्रो मैनेजमेंट के सहारे जीतने की रणनीति पार्टी ने बनाई है. भले ही वो चुनाव की रणनीति हो या चुनाव प्रबंधन के लिए प्रभारियों को जिम्मेदारी देने की, बीजेपी माइक्रो मैनेजमेंट से सफलता की कहानी दोहराना चाहती है.

बीजेपी ने अभी जो जिम्मेदारी तय की है उसमें एक-एक क्षेत्र में पांच पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है. इनमें उस क्षेत्र के अध्यक्ष के साथ ही संगठन मंत्री और चुनाव सह प्रभारी जो उस क्षेत्र के प्रभारी हैं. यूपी संगठन के प्रभारी और यूपी बीजेपी के महामंत्री जो उस क्षेत्र के के प्रभारी हैं, वे भी शामिल हैं. इस ‘मैजिक 5’ यानी पांच की शुभ संख्या पर ही चुनाव रणनीति से लेकर चुनाव प्रबंधन तक की जिम्मेदारी होगी यानी एक क्षेत्र में पांच पदाधिकारी कार्य सम्भालेंगे.

जानकारी के अनुसार अब बीजेपी और माइक्रो मैनेजमेंट करते हुए इन प्रभारियों के काम में भी बंटवारा कर सकती है. यानी अगर ये पांचों पदाधिकारी उस क्षेत्र में अलग-अलग कार्य देखेंगे. इसके पीछे पार्टी का लक्ष्य Micro management करके 350 सीटों के लक्ष्य को भेदना है. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक का कहना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है. पार्टी के सब बड़े नेता भी कहीं न कहीं कार्यकर्ता हैं. ऐसे में पार्टी को आगे ले जाने के लिए सभी काम करते हैं.

क्या होगी स्थिति?

यूपी का चुनाव बीजेपी के लिए खास इसलिए भी है क्योंकि सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य के चुनाव परिणाम पर 2024 के चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार होनी है. वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल कहते हैं कि बीजेपी शुरु से विकेंद्रीकरण करती रही है. इस बार ये और भी ज्यादा होगा. ये इन छह क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है. गांव और ब्लॉक स्तर पर दिखाई पड़ता है. इसकी वजह ये है कि पिछले कई चुनावों में भी बीजेपी को इस माइक्रो मैनेजमेंट का लाभ हुआ है. अक्टूबर और नवंबर में सभी चुनाव सह प्रभारी और संगठन के सह प्रभारी अपने अपने क्षेत्र में हर जिले का दौरा करेंगे.

संगठन के सह प्रभारी अपने क्षेत्र के दौरे से रिजल्ट मिले इसके लिए चुनाव सह प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान को और संगठन प्रभारी राधा मोहन सिंह को रिपोर्ट देंगे. इससे एक एक जिले में संगठन की जमीनी हकीकत का आकलन हो सकेगा. शुक्रवार को होने वाली बड़ी बैठक में भी पार्टी इस दिशा में मंथन करेगी. चुनाव में बड़े चेहरों को सीमित क्षेत्र की जिम्मेदारी देकर बीजेपी ने ये भी तय कर दिया है कि उनके कार्य अनुभव और उनकी योग्यता का लाभ ज्यादा से ज्यादा पार्टी को मिले. पन्ना प्रमुख के तौर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री सहित कई बड़े नेताओं को जिम्मेदारी मिलना भी लगभग तय है जो इसी माइक्रो मैनेजमेंट का हिस्सा है. ये रणनीति बूथ स्तर तक के प्रबंधन में पार्टी को मजबूत करने के लिए अपनाई गई है.