कैंट इलाके को फिर जाम में झोंकने की मुकम्मल तैयारी


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी (काशीवार्ता)। विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी का यह दुर्भाग्य है कि यहाँ ऐसे अफसरों की तैनाती होती है जिन्हें न तो इतिहास की जानकारी है, न भूगोल की। नतीजा यह है कि बे-सिर-पैर की योजनाओं का रोज खाका खींचा जा रहा है। पता चला है कैंट स्टेशन के सामने फ्लाईओवर के नीचे 54 दुकानें बनायी जा रही हैं। इसे नाईट बाजार का नाम दिया जा रहा है, यहां स्ट्रीट फूड मिलेगा। ये दुकानें रातभर खुलेंगी। जाहिर सी बात है कि जब दुकानें बनेंगी तो ग्राहक भी आएंगे। ग्राहक आएंगे तो दुपहिया और चारपहिया वाहन भी आएंगे। सुना है ऐसा ही कोई बाजार इंदौर में भी है। यह नहीं पता कि इंदौर का बाजार रेलवे स्टेशन के ठीक सामने इसी तरह की संकरी सड़क पर बसा है या और कहीं।
इंदौर के बाजार को देखने के बाद यहां तैनात अफसर के दिमाग में यह तुगलकी योजना आयी। योजना पर कई करोड़ रुपये स्मार्ट सिटी के मद से खर्च होंगे। अब कोई अफसरों से यह पूछे कि कैंट स्टेशन के सामने फ्लाईओवर बनाने की आखिर जरूरत क्यों पड़ी थी। बता दें कि रोडवेज से लेकर लहरतारा तक रोज लगने वाले जाम से बचाने के लिये चौकाघाट फ्लाईओवर का निर्माण कराया गया। हालांकि इस फ्लाईओवर से जाम से पूरी राहत तो नहीं मिली फिर भी कैंट स्टेशन के सामने से वाहन अब धीरे धीरे रेंगते हुए निकल जाते हैं। इलाके को जाम से बचाने के लिये रोडवेज के कैंट डिपो को भी अन्यत्र शिफ्ट करने की बात चल रही है। यह भी उल्लेखनीय है कैंट रेलवे स्टेशन से ट्रेनों की भीड़भाड़ कम करने के लिये अब अनेक ट्रेनों को मडुआडीह और वाराणसी सिटी स्टेशन से चलाया जा रहा है। अभी भी यहां से दर्जनों ट्रेनें गुजरती हैं जिनसे हजारों यात्रियों का कैंट आनाजाना होता है। हालत यह है कि कैंट इलाके को जाम से बचाने के लिये रोडवेज से लेकर कमलापति स्कूल तक लगभग डेढ़ दर्जन ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की रोज ड्यूटी लगती है। फिर भी टेम्पो, टोटो, रिक्शा आदि की दिनभर धमाचौकड़ी के चलते स्टेशन के सामने रोज जाम लगता है। सड़क पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं रहता। फ्लाईओवर के नीचे और स्टेशन की बाउंड्री से सटकर दर्जनों ठेले दिनभर खड़े रहते हैं। इससे इलाके में जाम के साथ साथ गंदगी भी फैलती है। इसके अलावा फ्लाईओवर के नीचे अवैध रूप से डग्गामार बसों और टैक्सियों का भी जमावड़ा लगा रहता है। यह सारा खेल नगर निगम और पुलिस के चंद भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से चलता है। जब वीआईपी आगमन होता है तो दिखावे के तौर पर हल्लागाड़ी पहुंच जाती है। कैंट के सामने की दूसरी पटरी रक्षा संपदा की जमीन है, जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने के लिये हाईकोर्ट ने नगर निगम को निर्देशित किया है। पूरे इलाके को अतिक्रमण मुक्त करा कर कैंट से ट्रेन पकड़ने वालों को सुविधा प्रदान करने की बजाय स्मार्ट सिटी के नाम पर कैंट इलाके को फिर जाम में झोंकने की मुकम्मल तैयारी कर ली गयी है। आम नागरिकों का मानना है यह और कुछ नहीं बल्कि स्मार्ट सिटी के नाम पर आए धन को ऐन-केन-प्रकारेण खपाने की कवायद है। अगर नाईट बाजार बसाने की ऐसी कोई मजबूरी है तो शहर से दूर किसी चौड़ी सड़क पर बसा दें।