पैदल चलने की जगह नहीं, इलेक्ट्रिक बसें दौड़ाने की तैयारी


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। शहर के इतिहास भूगोल से अनजान अफसरों ने इसको एक प्रयोगशाला बना कर रख दिया है। ताजा शिगुफा यह है कि शहर में जन परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक बसों को दौड़ाने का फैसला किया गया है। ये किस रूट पर चलेंगी अभी यह तय नहीं है। परंतु इतना तय है कि जाम से जूझ रहे लोग हैरान हैं कि आखिर यह बसें चलेंगी किस रूट पर। शहर में तीन प्रमुख रुट हैं, पहला कैंट स्टेशन से लंका, दूसरा कैंट से मैदागिन व तीसरा कैंट से गोदौलिया बाया लहुराबीर। तीनों रुट की हालत यह है कि बस कौन कहे इन पर दुपहिया चलाना भी मुश्किल है। अगर खुदा ना खास्ता कोई बस जाम में फंस गई तो फिर उस मार्ग पर यातायात का भगवान ही मालिक है। शहर की सड़कों की हालत को देखते हुए ही कभी मेट्रो तो कभी रोपवे चलाने की बात चलती रहती है। हालांकि दोनों ही परिवहन फिलहाल दूर की कौड़ी है। शहर को जाम में जकड़ने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल स्थिति यह है कि इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए स्टेशन की जगह नहीं मिल रही है। डिपो वठहराव स्थल तो दिवास्वप्न है। एक वक्त था जब शहर में रोडवेज की बड़ी वाली सिटी बसें चला करती थी। मुख्यत: कैंट से खुलने वाली बसे लंका, बीएचयू, मैदागिन, सारनाथ, बेनियाबाग, गोदौलिया तक चलती थी। किराए के लिहाज से बेहद ही किफायती यह बसें आम आदमी की परिवहन का एक प्रमुख माध्यम थी। 60 और 70 के दशक का यह वह समय था जब शहर में परिवहन के अन्य साधन के रूप में पैदल रिक्शा व तांगा चला करते थे। निजी परिवहन के रूप में गिने-चुने लोगों के पास अपनी कार, दुपहिया हुआ करती थी। शहर की आबादी बढ़ी तो यातायात के साधन भी बड़े। सड़कों पर टेंपो दौड़ने लगे। लोगों के पास कार और मोटरसाइकिल स्कूटर की संख्या बढ़ी। वही साथ ही साथ अतिक्रमण के चलते सड़कों की चौड़ाई भी सिकुड़ी। जब बड़ी वाली सिटी बसों का संचालन मुश्किल में पड़ा तो निजी हाथों में छोटी बसों का संचालन दिया गया। इसे महानगरी बस का नाम दिया। महानगरी बसे कुछ सालों तक तो धड़ल्ले से चली परंतु बाद में घाटे के चलते एक-एक करके बंद हो गई। इसके बाद तो शहर की सड़कों पर विक्रम व बजाज की टेंपो का कब्जा सा हो गया। बाद में प्रदूषण के चलते विक्रम बंद हुआ तो इसकी जगह बैटरी वाले रिक्शा ने ले ली। आज शहर की हर सड़क पर या तो टेंपो दिखेंगे या फिर टोटो। वैसे रोडवेज द्वारा संचालित छोटी सिटी बसें अभी भी शहर के एकाध रूट व बाहरी इलाकों में चल रही हैं। किंतु इनके जर्जर हालत को देखते हुए मजबूरी में ही लोग इस पर सफर करते हैं। अब शहर को स्मार्ट लुक देने के लिए इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना बन रही है।ं